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प्रमोटी आईएएस को दोयम समझ रैगिंग पर उतरे सीधी भर्ती के आईएएस

#कालेज की तर्ज पर परिचय माँगा जा रहा प्रमोटी आईएएस अफसरों से.

#कालेजों और विश्वविद्यालयों में चली आ रही रैगिंग अब यूपी की ब्यूरोक्रेसी में.

#उत्तर प्रदेश की अफसरशाही में प्रमोशन पाए आईएस अफसरों की रैगिंग शुरू.

अफसरनामा ब्यूरो  

लखनऊ :

लखनऊ : कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में चली आ रही रैगिंग का सिलसिला अब सूबे की अफसरशाही में भी शुरू हो चुकी है.  एक सीनियर आईएएस अफसर के एक व्हाट्सएप मैसेज ने प्रमोटी आईएएस अफसरों के बीच इस चर्चा को जन्म दे दिया है और इन अफसरों के बीच छात्र जीवन की रैगिंग का माहौल बना हुआ है. जैसा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में होता आया है कि सीनियर छात्र अपने जूनियर का की रैगिंग करते हैं और अलग-अलग तरह के टार्गेट देते हैं जिसमें कई बार उनको जलील भी होना पड़ता है. कुछ इसी तरह से उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में इस समय चल रहा है. इन सबके विपरीत प्रदेश सरकार इन प्रमोटी अफसरों पर ज्यादा भरोसा करते हुए प्रदेश में तैनाती में बराबर रखे हुए है.

वैसे तो उत्तर प्रदेश में अफसरों के बीच खासकर पीसीएस और आईएएस अफसरों की आपसी खींचतान वैसे तो कोई नयी बात नहीं है जहां पर पीसीएस संघ हमेशा अपने संवर्ग की उपेक्षा का आरोप लगाता रहा है कि आईएएस उनको दोयम दर्जे का समझते हैं. और शायद यही वजह रही है प्रमोटी आईएएस अफसरों द्वारा प्रोन्नत आईएएस संघ बनाने की तैयारी की वजह.

सूत्रों के मुताबिक सूबे के आईएएस अफसरों का दो तरह का व्हाट्सएप ग्रुप बना है. जिनमें एक में सभी सीनियर आईएएस अफसर जोड़े गए हैं और दूसरे ग्रुप में जूनियर कैटेगरी के आईएएस जोड़े गए हैं. इसी जूनियर आईएएस अफसरों के ग्रुप में प्रमोटी आईएएस अफसरों को भी जोड़ा गया है.

अभी हाल ही में इन प्रमोटी आईएएस अफसरों के ग्रुप में एक सीनियर आईएएस अफसर ने एक मैसेज डाल कर सबसे अपना परिचय देने की बात कही. सीनियर आईएएस की यह बात कुछ कुछ प्रमोटी आईएएस अफसरों को बुरा लगा. उनका कहना है अब हम बच्चे नहीं हैं. इन अफसरों का आरोप यह भी है की यह  सीनियर आईएएस अफसर हम जूनियर आईएएस अफसरों के बीच भी भेदभाव कर रहे हैं. किसी एक को तरजीह देकर बाकी को नजरअंदाज करते हुए अपमान किया जा रहा है और इन अफसर का यह मैसेज कालेज के दिनों की याद दिला रहा है.

सबसे ताज्जुब और मजे की बात यह है कि और यह सवाल तब और गंभीर हो जाता है कि अभी कई प्रमोटी आईएएस अफसरों को इन ग्रुपों में जोड़ा ही नहीं गया है जबकि वे प्रदेश के विभिन्न जिलों में साल भर से ज्यादा समय से जिलाधिकारी के पद पर तैनात हैं. ऐसे में काफी जद्दोजहद के बाद प्रोन्नति पाए इन 31 आईएएस अफसरों का परिचय पूछना छात्र जीवन की रैगिंग का याद दिलाता है. और इस तरह उत्तर प्रदेश की अफसरशाही में प्रमोशन पाए आईएएस अफसरों की रैगिंग की पहली शुरुआत हो चुकी है.

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