Free songs
BREAKING

“PAHAL” की पहल से यूपी के भ्रष्टाचार और घाटे वाले विकास प्राधिकरणों के लिए जीडीए बना नजीर

#21 साल बाद “ऋण मुक्त” गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में “हरनंदीपुरम” आवासीय टाउनशिप योजना प्रस्तावित.

अफसरनामा ब्यूरो

लखनऊ : सूबे के प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार और आमजन की परेशानियों के दृष्टिगत गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने “PAHAL” की पहल कर एक सराहनीय काम किया है. “PAHAL” यानी Public Access for Housing and Property Allotment Login की पहल से आमजन के बीच प्राधिकरण और उसकी कार्यप्रणाली को लेकर विश्वास बढेगा और पारदर्शिता रहेगी. जोकि आर्थिक दृष्टि से भी काफी अहम् साबित होगा. “PAHAL” के द्वारा आवेदन से लेकर आवंटन तक की प्रक्रिया सरल, समयबद्ध और पारदर्शी हो जाने से प्राधिकरण की योजनाओं में लोगों की रूचि बढ़ेगी. इस तरह से जहाँ प्राधिकरण लोगों के बीच अपना विश्वास हासिल करेगा वहीँ सरकार के डिजिटल इंडिया के मिशन को गति देने में सहायक होगा. इसके आलावा अभी तक घाटे में चल रहा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण “ऋण मुक्त” होकर करीब 21 साल बाद “हरनंदीपुरम” आवासीय टाउनशिप योजना की शुरुआत करने जा रहा है.

#ऋण मुक्त जीडीए करेगा 21 साल बाद “हरनंदीपुरम” आवासीय टाउनशिप योजना की शुरुआत

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने उल्लेखनीय व अनुकरणीय सुधार करते हुए एक मिशाल कायम करने का काम किया है. जीडीए के योजना बनाने वाले शीर्ष अफसरों और कर्मचारियों/ अधिकारियों की मेहनत से आज प्राधिकरण जहाँ एकतरफ “PAHAL” के द्वारा अपनी साफ़ सुथरी छवि को आगे लाया है वहीँ घाटे में रहे प्राधिकरण का घाटा शून्य कर लाभ की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है.

प्राधिकरण से मिली जानकारी के अनुसार उसकी वित्तीय स्थिति पर यदि नजर डालें तो वित्तीय वर्ष 2025 के प्रारम्भ में ही 965 करोड़ के ऋण को जमाकर प्राधिकरण को ऋण मुक्त करने का काम किया गया है. प्राधिकरण ने विभिन्न श्रोतों से अपनी आय में महत्वपूर्ण वृद्धि करते हुए विभिन्न स्रोतों से वित्तीय वर्ष 2025 के लिए रूपये 850.09 करोड़ हासिल करने में कामयाबी हासिल किया है. जिनमें आवासीय संपत्ति से 218.5 करोड़, व्यावसायिक भूखंड से 147.41 करोड़, औद्योगिक भूखंड से 18 करोड़, विक्रित संपत्ति (पहले आओ,पहले पाओ) माध्यम से 18 करोड़ और मानचित्र स्वीकृत से हुई आमदनी 448.18 करोड़ है.

इसके अलावा करीब 21 साल बाद “हरनंदीपुरम” नाम कि एक नयी आवासीय टाउनशिप जीडीए विकसित कर रहा है. बताते चलें कि इसके पहले वर्ष 2004 में मधुबन-बापूधाम नाम से गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने आवासीय योजना लांच किया था. पिछले 20 वर्षों में गाजियाबाद शहर के विकास में तेजी के चलते आवासीय भूखंडों की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है. ऐसे में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित “हरनंदीपुरम” आवासीय योजना जहाँ लोगों की आवासीय भूखंडों की मांग कू पूरा करेगी वहीँ सरकार की मुख्यमंत्री शहरी विस्तारीकरण/नए शहर प्रोत्साहन योजना का क्रियान्वयन होगा.

#राजधानी सहित यूपी के विकास प्राधिकरणों में भ्रष्टाचार आदि को लेकर आमजन त्रस्त

उत्तर प्रदेश के विकास प्राधिकरणों का नाम जेहन में आते ही आज हर व्यक्ति के मन में एक ख्याल जरूर आता है कि यह लालफीताशाही और भ्रष्टाचार का केंद्र है. जहाँ ठेकेदारों/दलालों और सिस्टम की कुर्सी पर बैठे नीचे से ऊपर तक अफसर/कर्मचारी के द्लालें से सांठ-गाँठ आम है. उदाहरण के तौर पर राजधानी का लखनऊ विकास प्राधिकरण आये दिन किसी न किसी मामले को लेकर सुर्ख़ियों में रहता है. कैंसर पीड़ित, 80-90 साल के बुजुर्ग अपनी समस्याओं को लेकर प्राधिकरण के चक्कर लगाते देखे जा सकते हैं. ऐसा नहीं कि इस तरह की समस्या केवल लखनऊ तक ही सीमित है बल्कि यह स्थिति कमोबेश सूबे के हर प्राधिकरण की है.

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में कुल 27 विकास प्राधिकरण हैं, जोकि राज्य के शहरी क्षेत्रों के नियोजित विकास के लिए जिम्मेदार हैं. यदि इनमें से कुछ प्रमुख विकास प्राधिकरणों लखनऊ विकास प्राधिकरण, कानपुर विकास प्राधिकरण, वाराणसी विकास प्राधिकरण, प्रयागराज विकास प्राधिकरण, आगरा विकास प्राधिकरण आदि को छोड़ दिया जाए तो कई ऐसे भी प्राधिकरण हैं लैंड बैंक (भूमि का भंडार) पूरी तरह से खाली है. कई ऐसे भी हैं जोकि अपने कर्मचारियों के खर्च निकालने में असहाय हैं. उनकी यह जरूरत बैंक के ब्याज से किसी तरह पूरा हो रही है.

#प्राधिकरणों के उत्थान और आमजन की सुविधा के लिए “UP New Township Policy-23” योगी सरकार ने किया था लांच

गौरतलब है कि 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राधिकरणों के उत्थान और आमजन की सुविधा के लिए UP New Township Policy 2023 लाकर तमाम प्रावधान किये गये. उस समय राज्य के 33 विकास प्राधिकरण और विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरणों में से 12 ऐसे रहे, जिनका लैंड बैंक पूरी तरह से खाली था. ज्यादातर प्राधिकरण वित्तीय संकट से जूझ रहे थे उनके पास भूमि अर्जित करने के लिए पैसे नहीं थे. उक्त योजना के तहत गोरखपुर, चित्रकूट, अलीगढ़, आगरा, बुलंदशहर, बरेली, झांसी में नई टाउनशिप विकसित करने के लिए एक हजार करोड़ रुपये देने के बाद सरकार दर्जनभर और शहरों में भी नई टाउनशिप के लिए तीन हजार करोड़ रुपये देने की तैयारी किया था.

उस समय लैंड शून्य वाले विकास प्राधिकरणों में वाराणसी, अयोध्या, सहारनपुर, मीरजापुर, रायबरेली, रामपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, कपिलवस्तु, फिरोजाबाद, बस्ती, बागपत रहे जबकि 6 प्राधिकरण ऐसे भी रहे जिनके पास नियोजन के लिए दस हेक्टेयर से भी कम ही जमीन रही. इनमें बांदा प्राधिकरण के पास 0.88 हेक्टेयर, कुशीनगर में 0.97, आजमगढ़ में 1.04, उरई में 1.41, खुर्जा में 2.69 और प्रयागराज विकास प्राधिकरण के पास मात्र 8.64 हेक्टेयर जमीन ही बची थी.

afsarnama
Loading...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.

Scroll To Top