
अफसरनामा ब्यूरो
जयपुर : सीमावर्ती क्षेत्रों के डेमोग्राफिक परिवर्तन पर छिड़ी बहस के बीच केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा धर्म परिवर्तन को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताए जाने और संघ प्रमुख द्वारा धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त किए जाने के बाद से अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने की मांग ने और अधिक जोर पकड़ लिया है. इसी बीच आज मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में भाजपा सरकार द्वारा अवैध धर्मांतरण करने वालों की संपत्ति पर बुलडोजर चलाने सहित धर्म परिवर्तन करने वालों की घर वापसी जैसे कानूनी प्रावधानों वाले “राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक-2025” प्रस्तुत विधेयक विपक्ष के भारी हंगामें के बीच पास हो गया.
*विधेयक पर चर्चा में छांगूर प्रकरण में उठे मुद्दों जैसी चिंताएं की गई साझा*
राजस्थान विधानसभा में विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान भाजपा विधायकों द्वारा अवैध धर्मांतरण पर जो चिंताएं व्यक्त की गई, वे उत्तर प्रदेश के छांगुर प्रकरण में सामने आए मुद्दों से मिलती-जुलती रही.धर्म परिवर्तन के लिए दलितों,आदिवासियों और महिलाओं को साॅफ्ट टारगेट बनाया जाना,धन के प्रलोभन का इस्तेमाल और सीमावर्ती क्षेत्र में डेमोग्राफिक परिवर्तन से राष्ट्र की सुरक्षा जैसे मुद्दे मुख्य रूप से चर्चा में रहे.
*सजा और जुर्माने के सख्त प्रावधान*
विधेयक में किए गए सख्त प्रावधानों को लेकर सत्ता पक्ष ने इसे उत्तर प्रदेश,हरियाणा, उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में बनाए गए धर्मांतरण विरोधी कानूनों से ज्यादा कारगर बताया. बिल में जबरन, धोखे या लालच के जरिए और कलेक्टर को सूचना दिए बिना ही धर्मांतरण कराने पर 7 से 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है और जो व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है उसे कलेक्टर के समक्ष उपस्थित होकर अपनी पहचान बतानी होगी और निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा ऐसा न करने पर 3 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. वहीं नाबालिग, दिव्यांग, महिला, अनुसूचित जाति (SC) या जनजाति (ST) के लोगों का धर्मांतरण कराने पर 10 से 20 साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.जिस बिल्डिंग में सामूहिक धर्म परिवर्तन कराया जाएगा, उसे बुलडोजर से ध्वस्त किया जा सकेगा.
*महात्मा गांधी के विचारों के अनुरूप घर वापसी का भी प्रावधान*
अगर किसी के पूर्वज सनातनी थे और वह कई पीढ़ियों से दूसरे धर्म को अपना रहा था तो इसे घर वापसी माना जाएगा. घर वापसी के मामलों में यह धर्मांतरण कानून लागू नहीं होगा.
विधेयक पर चर्चा के दौरान 22 अप्रैल 1932 महात्मा गांधी द्वारा प्रेमा बहन कंटक को लिखे पत्र को उद्धृत करते हुए विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी भी “घर वापसी” के समर्थन में थे. उनका कहना था कि लोगों को मूल धर्म में लौटने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और इसे धर्म परिवर्तन नहीं कहा जाना चाहिए. संविधान हमें दूसरों का धर्म परिवर्तन करने का अधिकार नहीं देता. धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित अनुच्छेद-25 सिर्फ धर्म प्रचार के अधिकार तक सीमित है.
