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यूपी का राजदरबार : मैडम से ना टकराना …

योगी सरकार में वह एक महकमें की डायरेक्टर हैं। इन मैडम साहिबा को आईएएस सेवा में आये हुए दस वर्ष हो गए। इस दरमियान गोंडा, बुलन्दशहर, कानपुर जैसे कई प्रमुख जिलों की डीएम भी वह रही हैं और नियुक्ति विभाग में विशेष सचिव रहते हुए लगभग हर आईएएस अफसर ही कुंडली उन्होंने बाची है। कौन आईएएस कितना अमीर है, किसके कहाँ-कहाँ और किस शहर में प्लाट हैं। किसके सास और ससुर ने गिफ्ट के नाम पर क्या-क्या दिया है? और हर साल कौन आईएएस अपना कितना इनकमटैक्स रिटर्न फ़ाइल कर रहा है? यह सब उन्होंने नियुक्ति विभाग में रहते हुए जान लिया था। इस दौरान उन्होंने पीसीएस से आईएएस बने कई आईएएस अफसरों की चूड़ी भी कसके कसी थी।

यही वजह है कि उनसे पंगा लेने की हिम्मत नौकरशाही में कोई नहीं करता था। लेकिन चंद महिला आईएएस अफसर उनकों भाव नहीं देती थी। इन सीनियर महिला आईएएस अफसरों ने कई मर्तवा मैडम को यह अहसास कराया कि वह जूनियर अफसर हैं, इसलिए सीएम की बैठकों में कम बोला करें। अपनी इन सीनियर महिला आईएएस अफसरों का रवैया मैडम को भाता नहीं था, लेकिन बीती सरकार में उन्हें भाव नहीं दिया जाता था, इसलिए खामोशी साधे रही। सत्ता बदली तो मैडम के सितारे भी बदले उन्हें सरकार में महत्व मिला और एक कमाऊ महकमें की डायरेक्टर वह बन गई। इसी महकमें की प्रमुख सचिव वह सीनियर महिला आईएएस अफसर थी, जिनसे मैडम खार खाए हुए थी।

ऐसे में मैडम ने विभाग के राजस्व में बढ़ोत्तरी न हो पाने को लेकर अपनी प्रमुख सचिव को ही दोषी ठहराने वाले एक रिपोर्ट सीएम को। बस फिर क्या था, उनकी प्रमुख सचिव हटा दी गई। इसके बाद मैडम ने हरियाली बढ़ाने से जुड़े महकमें की मुखिया महिला आईएएस को निशाने पर लिया क्योंकि वह खनन से जुड़े तमाम योजनाओं को सहमति देने को तैयार नहीं हो रही थी। मैडम के थोड़े से ही प्रयास से सूबे में हरियाली बढ़ाने की जिम्मेदारी निभाने वाली सीनियर आईएएस को उनके पद से हटा दिया गया। चंद महीनों में दो सीनियर महिला अफसरों को हटाए जाने की वजह संवर्ग की ही एक मैडम हैं, यह छिपा नहीं। तभी से मैडम की समर्थक लाबी मैडम से ना टकराना की नारा रात्रि की पार्टियों लगा रही है। -साभार वरिष्ट पत्रकार राजेंद्र कुमार जी की फेसबुक वाल से.

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