#आर्थिक हितों की तरजीह तो सही, पर स्वास्थ्य रक्षा उससे ज्यादा महत्वपूर्ण.
राजेश तिवारी
लखनऊ : कोरोना की कहर ढाती रफ्तार से बेजार होती राजधानी में त्राहिमाम संदेश आसानी से सुने जा सकते हैं. कोविड-19 महामारी के संक्रमितों की संख्या में तेज रफ़्तार से हो रही बढोत्तरी से लखनऊ भारत के उन जिलों की सूची में शुमार हो गया है जहाँ सरकार को सबसे ज्यादा फोकस करने की जरुरत हो गई है. असम के कामरूप से लेकर केरल के तिरुवनंतपुरम तक के ये 14 जिले देश में कोरोना संक्रमणों की बढ़ोत्तरी की दर के मामले में शीर्ष स्थान पर है. स्वास्थ्य विभाग के मुखिया लाकडाउन की बात कह रहे हैं, मंत्री बीमार चल रहे हैं, विधानसभा सत्र के आरम्भ की तिथि घोषित हो चुकी है, पर सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के चक्कर में लाकडाउन के पक्ष में नहीं है. संक्रमण बढ़ रहा है, मंत्री, अफसर संक्रमित हो रहे हैं. मुख्य सचिव के विभागों में रोस्टर सिस्टम को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा सका है. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या उन कर्मचारियों को है जिनके पास बचाव के लिए अन्य जरूरी सुविधाओं का आभाव है और वह नौकरी और जिंदगी दोनों से डरे हुए हैं.
हांलांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजधानी लखनऊ सहित सात जिलों में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश भी दिए हैं. लेकिन स्थिति की गंभीरता के मद्देनजर उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ डीएस नेगी का यह बयान कि “दो दिन की साप्ताहिक बंदी में सैनिटाईजेशन का काम बेहतर तरीके से होता है. हांलांकि संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए 21 दिन का सम्पूर्ण लाकडाउन जरूरी है” कम महत्वपूर्ण नहीं है.
कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेज रफ़्तार से हो रही बढोत्तरी से लखनऊ भारत के उन जिलों की सूची में शुमार हो गया है जहाँ सरकार को सबसे ज्यादा फोकस करने की जरुरत हो गई है. असम के कामरूप से लेकर केरल के तिरुवनंतपुरम तक के ये 14 जिले देश में संक्रमणों की बढ़ोत्तरी की दर के मामले में शीर्ष स्थान पर हैं. केवल राजधानी लखनऊ में कुल एक्टिव केसों की संख्या बढती जा रही है. लखनऊ में रविवार को यह आंकडा 6082 से ज्यादा का रहा जबकि उत्तर प्रदेश के कोरोना संक्रमितों के सक्रिय मामलों की कुल संख्या 47890 हो गई. डॉक्टरों के अन्तर्राष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ डॉक्टॉर्स के महासचिव डॉक्टर अभिषेक शुक्ला का कहना है कि प्रदेश में संक्रमणों के जो नये मामले सामने आ रहे हैं उनमें लखनऊ का योगदान 14% के लगभग है.
लेकिन सूबे के स्वास्थ्य महानिदेशक लखनऊ में कोरोना संक्रमणों की श्रृंखला तोड़ने के लिए 21 दिनों का सम्पुर्ण लाकडाउन की बात कह रहे हैं और सरकार में बैठे नुमाईंदे सूबे के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया के इस कथन को कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं. और प्रदेश की अर्थव्यवस्था और आम जनता के स्वास्थ्य रक्षा/जीवन रक्षा के लिए प्रभावशाली कदम उठाने में बाध्यता पैदा कर रहे हैं. स्वास्थ्य सुरक्षा के मुकाबले आर्थिक विकास को जिम्मेदार ज्यादा तवज्जो देने में जुटे हैं.