
#मुख्यसचिव का सेवा विस्तार नजीर फिर भी कारपोरेशन और चेयरमैन नहीं ले रहे सबक, निधि नारंग को सेवा विस्तार देने का पत्र भेजने को लेकर नाराजगी, चेयरमैन आशीष गोयल पर गंभीर आरोपों के साथ विरोध पर अडिग है अभियंता संघ. क्या उर्जा विभाग के निदेशक वित्त निधि नारंग पॉवर कारपोरेशन की मजबूरी?
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में ऊर्जा विभाग के वित्त निदेशक निधि नारंग के सेवा विस्तार की सुगबुगाहट एकबार फिर से तेज हो गयी है. पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल द्वारा निधि नारंग के सेवा विस्तार हेतु भेजे गए पत्र से बिजली कर्मचारियों में भारी नाराजगी है और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण के नाम पर हो रही लूट को रोकने के लिए नवनियुक्त मुख्य सचिव एसपी गोयल से अपील किया है. साथ ही समिति ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन पर गंभीर आरोप लगाते हुए सवाल किया है कि “आखिर डॉक्टर आशीष गोयल एक व्यक्ति विशेष को बार-बार सेवा विस्तार देने के लिए क्यों लालायित हैं? कहीं यह सब निजी घरानों से मिली भगत का परिणाम तो न हीं है?
संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि पॉवर कारपोरेशन का अध्यक्ष रहते हुए डॉक्टर आशीष गोयल ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के महामंत्री के रूप में काम कर रहे हैं और निजी घरानों का हित देख रहे हैं. संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि यह पता चला है कि पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉक्टर आशीष गोयल ने शासन को एक पत्र भेज कर पावर कॉरपोरेशन के निदेशक वित्त निधि नारंग का कार्यकाल छह माह और बढ़ाए जाने का प्रस्ताव किया है.
गौरतलब है कि 30 जुलाई को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निधि नारंग के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल के 14 जुलाई के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया था. लेकिन फिर से निधि नारंग का कार्यकाल बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल ने लिखा है. समिति के अनुसार प्रस्ताव में लिखा है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया अभी अधूरी है और निधि नारंग निजीकरण हेतु बनाई गई टेंडर मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष है. अतः उनका कार्यकाल 06 महीने के लिए और बढ़ा दिया जाए जिससे निजीकरण की प्रक्रिया सुगमता से पूरी हो सके.
संघर्ष समिति ने मुख्य सचिव एसपी गोयल को भजे गए पत्र में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया में शामिल रहे निदेशक वित्त निधि नारंग की भूमिका को प्रारंभ से ही विवादास्पद बताया है. समिति ने पत्र में लिखा है कि निधि नारंग की निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त किए जाने की प्रक्रिया में हितों के टकराव का प्राविधान हटवाने में बड़ी भूमिका रही है. निजीकरण हेतु नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन को झूठा शपथ पत्र देने के मामले में भी निधि नारंग ने ही क्लीन चिट दी है. निजीकरण हेतु नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन की निदेशक वित्त निधि नारंग से बहुत व्यक्तिगत निकटता है. यह आम चर्चा रही है कि ग्रांट थॉर्टन के लोग अधिकांश समय निधि नारंग के कमरे में ही बैठकर काम करते थे और निधि नारंग उन्हें गोपनीय पत्रावली भी दिखते थे.
संघर्ष समिति ने कहा कि निधि नारंग को तीसरी बार सेवा विस्तार देने का पत्र भेज कर पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉक्टर आशीष गोयल घोटाले के केंद्र बिंदु में आ गए हैं. निधि नारंग को निजीकरण के नाम पर पहले ही दो बार आशीष गोयल की अनुशंसा पर सेवा विस्तार दिया जा चुका है. अब एक बार फिर निजीकरण के नाम पर निधि नारंग को छह माह का सेवा विस्तार देना सर्वथा अनुपयुक्त होगा. विशेषतया तब जब निधि नारंग की कॉर्पोरेट घरानों के साथ निकटता जग जाहिर है और ट्रांजैक्शन कंसलटेंट, कॉर्पोरेट घराने, निधि नारंग और डॉ आशीष गोयल की निजीकरण की प्रक्रिया में मिली भगत है. संघर्ष समिति ने मुख्य सचिव से भी मांग की है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को देखते हुए निधि नारंग को किसी भी कीमत पर सेवा विस्तार न दिया जाय. संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 246 वें दिन बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में प्रांत व्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रखा.
