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भ्रष्टाचार और रिश्वत प्रकरण में नृपेन्द्र सिंह नपे, गर्दन फंसती देख आला अफसरों ने लिया निलंबन और जांच का सहारा

#वायरल आडिओ की बातचीत में इशारे में घूस की रकम राजधानी मुख्यालय पर भी जाने की बात .

#नृपेन्द्र बहादुर सिंह को 2024 में शासन के आदेश के विरुद्ध बहाल किया जाना और गाजियाबाद जैसे अहम् जिले में तैनात किया जाना, सवालों में?

अफसरनामा ब्यूरो  

लखनऊ : योगी सरकार की जीरो टोलरेंस की सख्त नीति के बावजूद लगातार सामने आ रहे प्रकरण अफसरशाही के बेलगाम होने का संकेत कर रहे हैं. गाजियाबाद के लीक आडिओ में घूस के पैसे के लेनदेन का इशारा आवास विकास के मुख्यालय तक आते देख आनन् फानन में अफसरों ने नृपेन्द्र बहादुर सिंह, प्रशासनिक अधिकारी, संपत्ति प्रबंध कार्यालय गाजियाबाद (संपत्ति प्रबंधक के कार्यों/दायित्वों हेतु अधिकृत) को निलंबित कर जांच बैठा दिया. साथ ही जांच अधिकारी के साथ सम्बद्ध भी कर दिया गया. फ़िलहाल प्रकरण में नियुक्त जांच अधिकारी उप आवास आयुक्त (भूमि), उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् मुख्यालय लखनऊ को इस प्रकरण की जांच कर एक महीने में अपनी रिपोर्ट देनी है. जांच कमेटी की भी निष्पक्षता एक महीने के बाद दाखिल की जाने वाली रिपोर्ट से साफ़ हो जायेगी.     

वायरल आडियो में गर्दन फंसती देख निलंबन और जांच का सहारा लेने वाले आला अफसरों पर सवाल इसलिए भी खड़ा होता है कि आखिर किस मजबूरी के तहत आवास आयुक्त बलकार सिंह ने दागी नृपेन्द्र बहादुर सिंह को शासन के आदेशों के विपरीत जाकर बहाल किया और गाजियाबाद जैसे महत्वपूर्ण जगह पर तैनाती दिया. उप आवास आयुक्त मेरठ जोन के पत्र दिनांक 22.08.2025, संख्या-1878/मेरठ जोन द्वारा प्रेषित आख्यानुसार आडियो क्लिप में नृपेन्द्र बहादुर सिंह की आवाज से मिलती पाए जाने पर दोषी पाए गए और उन्हें सस्पेंड किया गया.           

बताते चलें कि शासन में 12 जुलाई 2022 को इन्हीं नृपेंद्र बहादुर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायत पर कार्यवाही की सिफारिश हुई. जिसमें नृपेंद्र बहादुर सिंह को निलंबित कर कोई भी गोपनीय या वित्तीय लेनदेन जैसा काम न दिए जाने को कहा गया. जबकि शासन के इन आदेशों के विपरीत जाकर वर्ष 2024 में तत्कालीन कमिश्नर बलकार सिंह ने नृपेन्द्र सिंह को न सिर्फ बहाल किया बल्कि गाजियाबाद जैसे जिले का प्रशासनिक अधिकारी, संपत्ति प्रबंध कार्यालय गाजियाबाद भी बना दिया. नृपेन्द्र बहादुर सिंह राजधानी लखनऊ से लेकर गाजियाबाद चर्चित रहे हैं. इसके आलावा भ्रष्टाचार और अनियमितता की एक शिकायत पर  शासन से हुए आदेश को आवास आयुक्त दरकिनार कर उनको बहाल कर गाजियाबाद जैसे अहम् जिले में तैनात भी करते हैं.

जानकारों के अनुसार आवास आयुक्त 2004 बैच के आईएएस बलकार सिंह को 2018 में लखीमपुर का डीएम बनाया गया था लेकिन छोटा जिला कहकर इन्होने मना कर दिया था. जिसपर सीएम योगी नाराज भी हुए थे. फिर बस्ती का जिलाधिकारी बनने के बाद मन नहीं लगा और 3 साल प्रतिनियुक्ति पर रहे. इसके अलावा एमडी जलजीवन मिशन, निदेशक खनन का कार्यभार इसी योगी सरकार में संभाल चुके हैं. लेकिन सवालों में ही रहे थे. वहीँ, अपर आयुक्त/सचिव प्रमोटी आईएएस 2012 बैच के डॉ नीरज शुक्ला अयोध्या प्राधिकरण के वीसी और नगर आयुक्त के पद पर रहने के दौरान काफी चर्चित रहे हैं. और वहाँ से हटने के कुछ दिन बाद से ही आवास विकास लखनऊ में तैनात हैं.

 

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