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घाटे में बता निजीकरण करने वाले निगमों से “आल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन (AIDA)” को चंदा, सब कायदे क़ानून से उपर!   

अफसरनामा ब्यूरो 

लखनऊ : “आल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन (AIDA)” के गठन और उसके औचित्य पर उठ तरहे सवालों के बीच इस डिस्काम एशोसिएशन को दिया गया करीब 1.5 करोड़ रूपये की भी चर्चा बहुत है. और सवाल उठाये जा रहे हैं. कहा यह जा रहा है कि नियमों को दरकिनार कर केवल आका को खुश करने के लिए ही य़ह भुगतान किया गया है. इसके लिए किसी भी वित्तीय नियम का पालन नहीं किया गया है. शायद यही वज़ह है कि निगमों को निधि नारंग जैसे वित्त निदेशक आवश्यक होते हैं और उनको बार-बार सेवा विस्तार दिलाया जाता रहा है.

#UPPCL,DVVNL,KESCO,MVVNL,PVVNL द्वारा “आल इंडिया डिस्काम एसोशियन (AIDA)” को दिए गये भुगतान सवालों में, वित्तीय प्रावधानों को किया गया दरकिनार.    

टेंडर आधारित पावर कारपोरेशन की भुगतान प्रक्रिया में इस तरह किया गया भुगतान सवाल खड़े करता है. ऐसे में किस सेवा अथवा वस्तु की सप्लाई के लिए यह पैसा दिया गया? क्या इस भुगतान के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनायी गयी और उसमें आये कम रेट के आफर का चयन कर आर्डर दिया? जिसके एवज में यह भुगतान किया गया है. और ऐसा न होने की दशा में निदेशक वित्त द्वारा इस भुगतान को कैसे पास किया गया? यह बड़ा सवाल है जोकि आने वाले समय में सरकार और प्रबंधन के समक्ष और दिक्कत खड़ा करने वाला है.

“अफसरनामा” के पास उपलब्ध भुगतान रसीदों के आधार पर पावर कारपोरेशन द्वारा किये गए भुगतान को लेकर सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि “आल इंडिया डिस्काम एसोशिएसन (AIDA)”, एक डिस्काम एसोशियन है और डिस्काम एक डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी है. ऐसे में पावर कारपोरेशन जोकि एक ट्रेडिंग कंपनी है, कैसे और किस आधार पर किसी दूसरी संस्था को पैसा दे सकती है. जानकारी के अनुसार यूपी पावर कार्पोरेशन डिस्काम न होते हुए भी  डिस्कामों के किसी ऐसे संघ को क्यों चंदा दिया? जिस संघ के विषय वस्तु या संकल्प में पावर कार्पोरेशन का हित दिखता ही नहीं. ये तो ऐसे ही हुआ जैसे नगर निगमों के किसी प्राइवेट यूनियन को कोई सरकारी विभाग चंदा दे दे. और यह परिपाटी कितनी हितकर है इसका भी आंकलन जरूरी है. एक तरफ सरकार और प्रबंधन इन निगमों का घाटा बताकर निजीकरण करने पर आमादा है और दूसरी तरफ इन्हीं घाटे में चल रहे निगमों से चंदा बाँट रही है.  

#“आल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन (AIDA)” को यूपी पावर कारपोरेशन और निगमों द्वारा दिए गये पैसे का विवरण…

1. उत्तर प्रदेश की बिजली ट्रेडिंग कंपनी UPPCL ने दिनांक 03 जून 2025 को invoice NO.29/2025-26 और Invoice No. 30/2025-26 के माध्यम से कुल 21 लाख 80 हजार का भुगतान किया गया.

2. मध्यांचल विद्युत् वितरण निगम(MVVNL) ने भी 03 जून 2025 को कुल 21 लाख 80 हजार, Invoice No.33/2025-26,Invoice No.34/2025-26 के माध्यम से भुगतान किया.

3. पश्चिमाञ्चल विद्युत् वितरण निगम(PVVNL) ने भी 03 जून 2025 को कुल 03 बिलों के माध्यम से 31लाख 80 हजार रुपया Invoice No.35/2025-26,Invoice No.37/2025-26 और Invoice No.36/2025-26 के माध्यम से भुगतान किया.           

4. दक्षिणांचल विद्युत् वितरण निगम(DVVNL) ने भी 03 जून 2025 को कुल 21 लाख 80 हजार रुपया Invoice No.31/2025-26,Invoice No.32/2025-26 के माध्यम से भुगतान किया. 

5. इसी तरह Kanpur Electricity Supply Company (KESCO) ने भी 03 जून 2025 को कुल 21 लाख 80 हजार रुपया Invoice No.41/2025-26,Invoice No.42/2025-26 के माध्यम से भुगतान किया. 

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