
#AAO के पद पर तैनात राजपत्रित अधिकारी के पद की गरिमा के अनुरूप कार्य के लिए लिखे निदेशक आंतरिक लेखा का पत्र अन्य के लिए बनेगा नजीर.
#पत्र में सीडीओ कार्यालय फतेहपुर से सभी लेखाकर्मिकों को वापस बुलाए जाने की बात लिखा जाना, दर्शाता है विषय की गंभीरता.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : आकांक्षी जिलों का विकास सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है. और प्रधानमंत्री मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी तक इस संबंध में अपनी प्रतिबद्धता कई बार जता चुके हैं. लेकिन अफसरशाही है कि मानती नहीं. ताजा मामला जिला विकास अधिकारी कार्यालय फतेहपुर से जुड़ा है. जहाँ सहायक लेखा अधिकारी के शिकायती पत्र के जवाब में उसके नियुक्ति प्राधिकारी निदेशक, आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा के मुख्य विकास अधिकारी फतेहपुर को भेजे पत्र से व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो रहा है. फ़िलहाल यह तो उदाहरण मात्र है जबकि ऐसे तमाम प्रकरण सूबे के अन्य जिलों से लेकर शासन तक में उपलब्ध हैं.
बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में सहायक लेखा अधिकारी का पद राजपत्रित है और उसके नियुक्ति प्राधिकारी निदेशक, आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा हैं. जिसके द्वारा विभिन्न विभागों में स्वीकृत पदों के सापेक्ष सहायक लेखा अधिकारी की तैनाती की जाती है. आकांक्षी जिलों में तैनाती को वरीयता देने की सरकार की नीति के अनुरूप निदेशक,आंतरिक लेखा परीक्षा द्वारा अपने आदेश संख्या-आ0ले0प0/621/6783(iii)/स0ले0अ0 दिनांक: 15.06.2025 द्वारा संदीप बांधवकर की पोस्टिंग जिला विकास अधिकारी कार्यालय फतेहपुर में की गई.

पोस्टिंग के बाद अधिकारी मिलने से कार्यों में सुगमता और कार्य निष्पादन की गति में बढ़ोत्तरी होने की बात की जाती है लेकिन सीडीओ कार्यालय, फतेहपुर का माजरा कुछ और ही रहा. वहां समूह-ख के राजपत्रित अधिकारी पद की गरिमा के अनुरूप व्यवहार न किए जाने और कार्यों के निष्पादन हेतु यथोचित व्यवस्था न किए जाने पर नई तैनाती पाये AAO ने 23 जुलाई 2025 को प्रेषित पत्र द्वारा निदेशक, आंतरिक लेखा परीक्षा को तमाम परिस्थितियों से अवगत कराया.
इसके बाद 20 अगस्त 2025 को निदेशक, आंतरिक लेखा परीक्षा ने सीडीओ फतेहपुर को पत्र भेजकर सहायक लेखाधिकारी को उसकी पद की गरिमा के अनुरूप कार्य और व्यवहार की अपेक्षा की है. ऐसा न किए जाने की स्थिति में सीडीओ कार्यालय फतेहपुर से सभी लेखाकर्मिकों को वापस बुलाए जाने की बात लिखा जाना विषय की गंभीरता को दर्शाता है. अधिकारियों के इस प्रकार मनमानेपन से आकांक्षी जिलों के विकास की गति पर क्या असर होगा यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है.
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में तैनात किये गये सहायक लेखाधिकारी संदीप बांधवकर जैसी हिम्मत हर अधिकारी/कर्मचारी नहीं कर सकता, उसके तमाम कारण हो सकते हैं. लेकिन इस पत्र ने सिस्टम में बैठे उन जिम्मेदारों की उस हकीकत को सामने जरूर लाने का काम किया है जोकि कुर्सी को जिम्मेदारी नहीं बल्कि जमींदारी समझते हैं. पूरे सिस्टम में ऐसे बहुतेरे हैं जिनको मुखिया की कुर्सी पर बैठे हुए जिम्मेदार अपनी सुविधानुसार चलाते हैं न कि व्यवस्था में तैनात व्यक्ति के पद, कद और सिस्टम में उसकी जरूरत के हिसाब से चलते हैं.
