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स्वच्छ भारत मिशन में एनजीओ राज, बिना बिल सत्यापन के भुगतान का दबाव

#धंधेबाजों को पाल स्वच्छ भारत बनाएंगे प्रमुख सचिव नगर विकास

#आखिर क्या वजह थी कि वित्त नियंत्रक ने लगाई बिलों के भुगतान में आपत्ति

#वित्त नियंत्रक के पत्र ने बनाया मामला गंभीर

#आपत्तियों के बाद करीब साढ़े तीन माह बाद खुद मनोज कुमार ने पास किये बिल

#इसके पहले यह बिल पास क्यूँ नहीं हुआ

#टेंडर डालने वाले अन्य फार्मों का आरोप अभी तक उनको डाले गये टेंडर के स्टेट्स की कोई जानकारी नहीं

#आखिर किस मजबूरी के तहत प्रमुख सचिव मनोज कुमार ने टेंडर को अपने दफ्तर में खोला, क्या टेंडर खोलने की पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया

#सूत्रों की बात मानें तो टेंडर मनोज कुमार के दफ्तर में खोले जाने के बाद उनके सिपहसालारों ने लोगों से सौदेबाजी शुरू कर दी और कुछ लोगों से टेलीफोन से संपर्क भी किया.    

अफसरनामा ब्यूरो 

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की स्वच्छता और पारदर्शी वाली सरकार के मुखिया ने अपननी सरकार का दूसरा भारी भरकम बजट पेश किया. सरकार के मुखिया ने बजट के बाद पत्रकार वार्ता में कहा कि यह बजट वित्तीय अनुशासन कायम करने वाला साबित होगा. लेकिन उनके मातहत जिस तरह के कारनामों को अंजाम दे अंजाम दे रहे हैं वह उनके वित्तीय अनुशासन वाले बयान का सीधे-सीधे परखच्चे उड़ाने वाला साबित हो रहा है. अभी तक अफसरों की स्वेच्छाचारिता और मनमानी पर अंकुश लगाने में कोई भी सरकार कामयाब नहीं हो पा रही है. प्रदेश के इन अफसरों की कार्यप्रणाली तथा इनके वित्तीय प्रबंध और अनुशासन से प्रधानमंत्री मोदी का स्वच्छता मिशन भी नहीं बच सका है. बिना बजट वाले विभाग ग्रामीण अभिंत्रण, नगर विकास,जल निगम व निर्माण निगम जैसे विभागों में लूट का सिलसिला अनवरत जारी है. विभाग के ही एक कर्मचारी अनूप द्विवेदी ने जिस तरह से आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया है वह खुद इस बात का सबूत है कि विभाग में प्रमुख सचिव की मनमानी किस तरह से हावी है. इन सब के बावजूद सरकार का मौन रूख और भी तमाम सवाल खड़े करता है.

नगर विकास विभाग में दो दर्जन से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों के बावजूद प्रधानमन्त्री मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को पलीता लग रहा है और पैसे की लूट मची हुयी है. विभाग के प्रमुख सचिव की मनमानी ऐसी हो गयी है कि यह एक सरकारी विभाग न होकर उनका जेबी संगठन बन चुका है. ग्राम विकास विभाग से लेकर नगर विकास तक उनके प्रापर्टी की कमाई से वारे न्यारे करने वाले दलाल अब मोटी कमाई सूंघ उनके साथ पैखाने के धंधे में उतर पड़े हैं. मोदी जी के स्वच्छ भारत मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए योगी सरकार में मोटी तनख्वाह और भत्ते पर रखे गए सलाहकारों की योग्यता का कोई अता पता नहीं. प्रमुख सचिव मनोज कुमार द्वारा स्वच्छता मिशन के कार्य को “आरसीएस (Regional Center for Urbon infrastrucher), काल सेंटर और कंसल्टेंट के माध्यम से  कराना शुरू कर दिया है. प्रमुख सचिव ने इस कार्य के लिए 3 लाख रूपये प्रति महीने के हिसाब से कंसल्टेंट रख रखें हैं.

प्रमुख सचिव के इस कारनामे पर विभाग से ही जुड़े एक अफसर ने आपत्ति लगाई कि जब हाईपावर कमेटी ने इस काम के लिए मिशन डायरेक्टर को अधिकृत किया है तो RCS ने काम कैसे किया तो वित्त नियंत्रक और मिशन डायरेक्टर पर अपने चहेतों के बिल को बिना सत्यापन के मनमाने तरीके से पास कराने के लिए दबाव बनाया गया. जिसके जवाब में वित्त नियंत्रक ने दिनांक 27 अक्टूबर 2017 को स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के अंतर्गत नगर निकायों में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों की क्षमता संवर्धन हेतु की गयी कार्यशालाओं/एक्सपोजर विजित के भुगतान के सम्बन्ध में एक पत्र एके गुप्ता अपर निदेशक, क्षेत्रीय नगर एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र लखनऊ को संदर्भित करते हुए उनके द्वारा भुगतान हेतु 6-7 पत्रों का जिक्र करते हुए लिखा गया कि पूर्व में आपके द्वारा केवल इनवाईस भेजी गयी जिसमें प्रत्येक प्रशिक्षण के मूल बिल अथवा कापी की सत्यापित कापी की मांग की गयी, प्रत्येक प्रशिक्षण की किट की मांग की गयी, प्रत्येक प्रशिक्षण की रिपोर्ट एवं फोटोग्राफ की मांग की गयी और प्रत्येक एक्सपोजर विजिट के प्रतिभागियों की सूची एवं फोटोग्राफ की मांग की गयी.

इस तरह भुगतान के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने और वित्त नियंत्रक द्वारा मांगे गए कागजों को मुहैया कराने के बजाय अधिकारियों पर दबाव बनाने का काम प्रमुख सचिव द्वारा किया गया. ऐसे में सवाल यह है कि प्रमुख सचिव की ऐसी क्या रूचि थी कि भुगतान के लिए वित्त नियंत्रक द्वारा मांगी गयी प्रक्रिया को पूरा करने के बजाय सीधे बिल पास कर दिया गया. अगर वास्तव में जमीनी स्तर पर यह कार्य हुआ है तो मांगे गए कागजों को देने में समस्या कहाँ थी. करीब साढ़े तीन महीने बीत जाने के बाद मिशन डायरेक्टर का चार्ज मिलते ही सारे बिल पास कर दिए गए.

प्रमुख सचिव की मंशा का आंकलन स्वच्छ भारत मिशन में तैनात रहे अनूप द्विवेदी के इस इस्तीफे से लगाया जा सकता है जिसको द्विवेदी ने प्रमुख सचिव और उनके सिपहसालारों पर तमाम तरह के आरोप लगाते हुए लिखा है. इन सब में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतना सब होने के बावजूद सरकार और उसमें बैठे विभाग के मंत्री व् अन्य इसकी जांच कराने और संज्ञान लेने में आनाकानी कर रहे हैं. इससे क्या यह माना जाय कि प्रदेश की सरकार मंत्री मुख्यमंत्री नहीं बल्कि इस तरह के भ्रष्ट आईएएस अफसर चला रहे हैं.

अनूप द्विवेदी का इस्तीफा कुछ इस प्रकार है :-          

Dear Sir,

Please find attached herewith Fund Transaction Details in reference to Individual Household Toilets under Swachh Bharat Mission.

It is also to mention here that I worked for the Mission with my heart but no officer of Mission Directorate has ever recognized it.

I was responsible for:

  1.  MIS
  2. Office Establishment
  3.  CM Dashboard
  4.  Weekly Review Meeting
  5.  HPC Meetings
  6.  Assembly Questions
  7.  Parliament Questions
  8.  CM Reference
  9.  Training and Capacity Building
  10.  Financial Activities
  11.  NGT and SWM
  12.  Preparation of Meeting agenda and Minutes of Meeting
  13.  Service level bench marks under 14th FC

 I was trying to manage the all these things along with State as well as City level MIS activities alone and no one was helping me. I was over burdened. Around 10 days ago DPMs were appointed. Around 2 years ago HPC sanctioned the proposal about Manpower. Decisions were pending at State Level since more than one and half years. DPMs were appointed but no decisions about 576 Computer Operator which will be deputed in remaining ULBs under Mission. I don’t know what is the motive behind it? Without resources nothings is possible.

I was the person who has scarified his career only for the Swachh Bharat Mission. During my tenure so many big organisations like Tata Consulting Engineers, Grant Thornton, IPE Global Private Limited (Offer Letter Enclosed) etc offered me to work with them at higher package (Rs. 1.20 Lakhs/- Per Month to Rs. 1.25 Lakhs per Month) than current (Only Rs. 60,000/- Per Month while GoI decided Rs. 90,000/- Per Month) under different types of urban and infrastructure projects but for this mission only, I rejected their proposals.  My salary was same Rs. 60,000/-Month from 2009 to 15th Dec 2017.

 My qualifications are:

10th : 14th Rank in Uttar Pradesh in 1998 un UP Board

B.Tech (Computer Science):

MBA (IT & Systems)

Post Graduate Diploma in Urban Planning and Management

Post Graduate Diploma in Mass Media and Journalism

Award:

Digital India Award by Government of India under E Governance

 My Experience:

Since 2006 to 2009 I have worked with Ministry of Urban Development, Government of India on PwC payroll during JnNURM National PMU. At that time I was responsible for the MIS for across all the Mission cities in country. That times no officer of Ministry pointed out on my credibility and working. Since 2009 to 15th Dec 2017 I served the State Department with honesty and hard working.

During my tenure in UP my credibility was never challenged by any director or senior officers of the department. But this time I am unlucky because:

  1.      I am honest.
  2.      I am hardworking
  3.      I never do wrong things.
  4.      I never misuse the names of IAS officer like you or his office
  5.      I have no support of any IAS officer or any Minister.
  6.      I am not from any organisation which you like.

My career was never dependent on any Minister or any IAS of PCS Officer. My achievement is only mine.

Many times you have used word “JUTA KHOR” for me. These words hit me a lot. You never like my face. You never hear my word or problems or any other matter in reference to the Mission. You only follow the suggestions and remarks of your team only in which Vikas ji and Vidyasagar ji exists and you have blind faith on them. They are right and all are wrong.

All these things were in my mind so I just said all things.

It is also to mention that I have asked to Mr. Mritunjay about his calls to me on Saturday 16th Dec 2017, but he denied and said that he was just connecting my phone but call couldn’t connect.

It is also to tell that I always respect you and also very sorry to writing this email.

Apart from the above as desired by you, I am resigning from State Mission Directorate.

Regards,

Anoop Dwivedi

afsarnama
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