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अब अपनों से दंगों का दाग धोयेंगे योगी

अफसरनामा ब्यूरो  

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सरकारें बदलने के बाद राजनेताओं व पार्टी समर्थकों पर दर्ज मुक़दमों की वापसी का एक शगल सा बन गया है. पिछले तीन दशक से सरकार सपा, बसपा भाजपा किसी की भी रही हो मुकदमे वापस लिए जाते रहे हैं और एक सरकार में आरोपी बने माननीय दूसरी सरकार में निर्दोष साबित होते रहे हैं. अब यही काम वर्तमान की योगी आदित्यनाथ की सरकार भी कर रही है. 1995 में निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद धरना प्रदर्शन करने के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल सहित 13 लोगों पर दर्ज मुकदमों को योगी सरकार ने वापस लिया था. इसी मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी हुआ था. अब इसी क्रम में प्रदेश सरकार नंगला मंदौड़ में हुई महापंचायत के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में दर्ज मुकदमे वापस लेने की तैयारी में है. इस सम्बन्ध में शासन द्वारा जिला प्रशासन को पत्र लिखकर मुकदमों की रिपोर्ट मांगी गयी है और पूछा गया है कि क्या ये मुक़दमे वापस लिए जा सकते हैं.

उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर दंगा जिसे मुजफ्फरनगर के लोग कभी नहीं भूल पायेंगे. जिसको रोकने पाने में प्रशासन भी असफल रहा और यही दंगा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सियासत का काल भी बना. दंगे में जहां किसी के बुढापे की लाठी छिनी तो किसी के माथे का सिन्दूर उजड़ा, क्रिया-प्रतिक्रया के चलते साम्प्रदायिक हिंसा का ऐसा नंगा नाच हुआ कि लोग एक दूसरे के प्यासे हो गए थे. 27 अगस्त 2013 को शुरू हुयी इस खुनी जंग के चलते सूबे के सियासतदानों को मसाला भी  मिला और सियासत चमकाने का मौका भी. कंवाल गाँव और मलिकपुरा गाँव के तिहरे ह्त्या काण्ड के बाद सियासत ऐसी गर्म हुई कि पूरा क्षेत्र अशांत हो गया. ऐसे में 29 अगस्त और 31 अगस्त को खालापार और नंगला मन्दौड की महापंचायतों में जहरीले भाषण  के बाद बहु बेटी बचाओ सम्मान के नाम से 7 सितम्बर को नंगला मंदौड़ में महापंचायत बुलाई गयीऔर हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए और जिसके बाद शाम तक साम्प्रदायिक दंगा शुरू हो गया और करीब पांच से छः दर्जन लोग मारे गए.

इस कंवाल काण्ड के विरोध में बुलाई गयी महा पंचायत में भाजपा के पांच बड़े नेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गैर जमानती वारंट जारी जारी हुए. भड़काऊ भाषण देने के आरोपी प्रदेश के गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री सुरेश राणा, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद डॉ. संजीव बालियान, बिजनौर सांसद भारतेंद्र सिंह, सरधना विधायक संगीत सोम, बुढ़ाना विधायक उमेश मलिक, साध्वी प्राची आदि के खिलाफ कोर्ट में पेश नहीं होने पर अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किए और आगे की सुनवाई 19 जनवरी 2018 दी गई. इन दंगों में केवल भारतीय जनता पार्टी के नेता ही नहीं सियासत में आगे थे बल्कि समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान ने भी जमकर जहर उगला था और खूब सियासत की लेकन तब फर्क इतना था कि सूबे में उनकी सरकार थी और वे उसके कद्दावर मंत्री थे.

 

 

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