Free songs
BREAKING

मुफ्तखोर, बेअंदाज कमिश्नर के निशाने पर बिल्डर

#निजी मकान में एसी न लगवाने, साजसज्जा न करवाने पर भेजना चाहता है जेल

लखनऊ : योगी सरकार की सरपरस्ती में पनप रहे बेअंदाज और बेलगाम देवीपाटन मंडल कमिश्नर की सीनाजोरी और राहजनी जारी है. देवीपाटन मंडल में 400 एकड़ से ज्यादा पर अवैध कब्जे न हटवा पाने का आरोपी और सरकारी छह करोड़ रुपये की लागत से बने नए कमिश्नर आवास को छोड़ पुराने मकान पर सरकारी महकमों का करोड़ों फुंकवाने वारे इस अधिकारी के निशाने पर अब गोंडा जिले का एक बिल्डर बना है.

दक्षिणी भारतीय फिल्मों को डान की तरह शान शौकत से रहने और कपड़े लत्ते पहनने वाले इस अधिकारी का कहर महज इसलिए बिल्डर पर नाजिल हो रहा है कि उसने अपने पैसों से कमिश्नर साहब के निजी फ्लैट में एसी नही लगवाया और उसके मन मुताबिक साजसज्जा नही करवाई. बस इतनी बात से खफा इस कमिश्नर एसबीएस रंगाराव ने बिल्डर पर अपने मातहत अधिकारियों से फरजी मुकदमा लिखा कर जेल भिजवाने की साजिश रच डाली. बिल्डर उसी जिले का मूलनिवासी जहां रंगाराव कमिश्नर हैं और इतना भर काफी था उससे हिसाब चुकता करने के लिए.

रंगाराव का शिकार बना बिल्डर जमील, सामिया विल्डर नाम की फर्म का स्वामी है जिसने रिकार्ड समय में मायावती के कार्यकाल में 3000 कांशीराम आवास योजना के मकान बना कर वाहवाही बटोरी थी. इसी कंपनी ने आईआईटी रुड़की और आईआईटी दिल्ली जैसे प्रतिष्ठान एवं टेहरी हाइड्रो पावर जैसे आर्गेनाइजेशन का निर्माण कार्य किया तथा ग्रेटर नोएडा में 900 फ्लैट्स का निर्माण इस आर्थिक मंदी के विकट समय मे भी कम्पलीट करके हैंड ओवर किया. उक्त बिल्डर के कामों से प्रभावित होकर प्रदेश भर के आईएएस अधिकारियों ने उसे अपने खुद के लिए निजी आवास बनाने का काम सौंपा. सामिया बिल्डर ने राजधानी लखनऊ में मेलरोज स्क्वायर में आईएएस अधिकारियों के लिए महज 1700 रुपये प्रति वर्गफुट पर फ्लैट बनाने के लिए आईएएस एसोसिएशन से करार किया और तमाम झंझटों, नक्शे की मंजूरी में देरी, किसान आंदोलन वगैरा से निपटते हुए अब तक 95 फीसदी फ्लैट तैयार कर डाले.

उत्तर प्रदेश सरकार की इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति के तहत इस बिल्डर ने अपने जन्मस्थान गोंडा में इस तरह की एक टाउनशिप विकसित करने का सपना देखा. जमील का मानना था कि प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार गोंडा जहां दशकों पहले बनी  आवास विकास परिषद की एक कालोनी इस पूरे मंडल की इकलौती नियोजित आवासीय कालोनी है, में इंटीग्रेटेड टाइनशिप परियोजना उसकी अपनी जन्मभूमि की सच्ची सेवा होगी.

इंटीग्रेटेड टाउनशिप योजना के लिए नियम था कि उसके लिए लैंड एकत्र करने के लिए कंपनी कुछ कम्पनीज का कांसोर्टियम  बना रजिस्टर्ड करा के सब मिल कर पूरी प्लानिंग का 60 फीसदी लैंड परचेस करें और फिर उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद से लाइसेन्स प्राप्त करें. सामिया ग्रुप ने सभी नियम का पालन करते हुए 58 एकड़ भूमि क्रय करके लाइसेन्स के लिए अप्लाई किया . नियमानुसार इस क्रय की गई भूमि का सत्यापन सदर तहसील से सत्यापित कराके एवं जिला अधिकारी के अधिकृत अधिकारी की मौजूदगी में सरकार द्वारा गठित बोर्ड ने लाइसेंस देने का अप्रूवल मई 2017 में कर दिया . नियम है कि पूरी प्लान परियोजना के लिए 25% लैंड में किसी तरह प्रॉब्लम आती है तो मय सरकारी भूमि अंश के तो सरकार मदद करेगी . बिल्डर की इंटीग्रेटेड परियोजना बाकायदा नियम कानूनों का पालन करते हुए पूरी तरह से सरकारी अनुमति के साथ विकसित हो रही है.

कहानी यहां से शुरु होती है जब गोंडा में सामिया बिल्डर की इस परियोजना के सहारे मेलरोज स्क्वायर में फ्लैट के एक आवेदक आईएएस व वर्तमान में कमिश्नर गोंडा एसबीएस रंगाराव ने एक कुचक्र रचा.

करीब एक हफ्ता पहले बल्डर जमील खान के पास  देवी पाटन मंडल के कॉमिशनर रंगा रॉव का फ़ोन आता और वो मिलने की इच्छा जताते हैं. चूंकि रंगा राव मेलरोज स्क्वायर परियोजना में एक ग्राहक हैं तथाआईएएस एसोसिएशन के द्वारा मेंबर बने थे  इसलिए बिल्डर ने उन्हें पूरा सम्मान देते हुए कहा कि 25 जनवरी की रात गोंडा आऊंगा तो  मुझे 26जनवरी को समय दिजीये . बिल्डर को 26 जनवरी को शाम 4.30 पर रंगा राव ने अपने सरकारी आवास पर मिलने का समय दिया

परंतु 26 जनवरी की सुबह ही कुछ जूनियर अधिकारी ने अवगत कराया कि बिल्डर रंगा राव  से ना मिलने जायँ क्योंकि कमिश्नर ने जूनियर अफसरों पर दबाव डाला है कि वो फरजी मुकदमा दर्ज कराएं. रंगाराव ने अपने मातहत अफसरों से कहा कि जमील खान ने हमारे फ्लैट् में एसी नही लगाया है और हमारा पैसा ले कर भाग गया है . उसकी लैंड है यहां . तो उस पर कोई आरोप लगाओ और  वो मेरे आवास पर आय तो रेवेनुए जूनियर अधिकारी वही पर आ जायँ और उसी समय पुलिस अधिकारी को बुला लूंगा और इस इल्ज़ाम में वहीं उनके आवास से बिल्डर को जेल भेजना है .

जूनियर अधिकारियों के मातहत के द्वारा कॉमिशनर साहब का ये प्लान शहर मे भी वायरल हो गया. हालांकि इसके बाद भी बिल्डर जमील अपने बहनोई नसीम अहमद के साथ कमिश्नर से मिलने गया जहां रंगाराव लगातार कई जूनियर अफसरों को फोन कर बुलाते रहे पर किसी ने उनका फोन नहीं उठाया.

उस दिन किसी तरह से कमिश्नर के चंगुल से बच सके बिल्डर जमील अहमद को अब न केवल खुद को किसी झूठे मामले में फंसाए जाने का डर सता रहा है बल्कि जानमाल का खतरा भी सता रहा है. कमिश्नर के खौफ से सहमे बिल्डर ने गोंडा से सांसद से लेकर नोयडा, जहां वह वर्तमान में रहता है, के सांसद व केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगायी है.

afsarnama
Loading...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.

Scroll To Top