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वित्त विभाग के अफसरों की मनमानी का औजार बना वैयक्तिक जमा खाता, CAG ने उठाये सवाल

#वैयक्तिक खातों में हजारों करोड़ रूपये पड़े बेकार, अफसर नहीं निकाल रहे कोई हल.

#कल्याणकारी योजनाओं व सरकारी लेखा हो रहा प्रभावित.

राजेश तिवारी

लखनऊ : कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन जुटाने में जुटी योगी सरकार के वित्तीय विभाग की लापरवाही व नाकामी पर CAG रिपोर्ट द्वारा यदि वैयक्तिक खातों के रख रखाव व उनके संचालन पर की गयी टिप्पणी को देखने से साफ़ हो जाता है कि हजारों करोड़ रूपया अफसरों की वजह से बेकार पड़ा हुआ है. दिसम्बर माह में उत्तर प्रदेश सरकार सरकार के अनुपूरक बजट में पटल की गयी सीएजी रिपोर्ट में वैयक्तिक जमा खातों में भी भारी हेरफेर किये जाने पर भी CAG ने कठोर टिप्पणी करते हुए जिम्मेदार अफसरों पर कार्यवाही की संस्तुति की, और शासन के वित्त विभाग को निर्देश किया कि वे सभी वैयक्तिक (पी डी) खातों की समीक्षा कर इनमें गैर जरूरी पड़ी सभी रकम को तत्काल राज्य के समेकित निधि में प्रेषित कराना सुनिश्ति करें. बताते चलें कि “अफसरनामा” लगातार अपने अंकों में वैयक्तिक लेखे की सुविधा का दुरूपयोग का मुद्दा उठा चुका है जोकि प्रदेश के ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में लैप्स बजट की धनराशि को गोलमाल किये जाने के प्रकरण से सम्बंधित रहा है.

वैयक्तिक लेखे के माध्यम से अफसरों द्वारा की जाने वाली बाजीगरी से सरकार की योजनायें, आंकड़े और वित्तीय प्रबंधन किस प्रकार प्रभावित होते हैं इसको बिहार व झारखंड के संयुक्त रहते पशुपालन घोटाले और झारखंड में मधु कोड़ा सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों में शुमार तथा रघुवर सरकार से बागी हुए वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री रहे सरयु राय के हालिया बयान से समझा जा सकता है. जिसके बाद झारखंड की राजनीति में भूचाल आ गया है. राय के अनुसार राज्य सरकार योजनागत बजट को खर्च नहीं कर पायी है और वर्ष के अंत में अवशेष धनराशि PLA (वैयक्तिक खाता लेखे) में जमा कर दी जायेगी. और इस तरह ट्रांसफर किये गये बजट को भी किसी योजना में किये गये कुल खर्च के रूप में दिखा दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में CAG रिपोर्ट भी कुछ इसी तरह की चिंता जता रही है कि विभिन्न योजनाओं के लिए सरकार द्वारा जारी किये गए बजट की धनराशि किन कारणों से वैयक्तिक जमा लेखा खातों में पहुँच जाती है.

उत्तर प्रदेश सरकार के वित्तीय मामलों पर आधारित CAG रिपोर्ट वर्ष 2017-18 में सरकार द्वारा विभागों को आवंटित संसाधनों के कुप्रबंधन पर सख्त टिप्पणी की गयी है. प्रदेश के विभिन्न विभागों में वैयक्तिक जमा खातों में 31 मार्च 2018 को अवशेष पड़ी धनराशि को नियम विरुद्ध रोके रखने पर सवाल खड़े करते हुए कहा गया है कि वैयक्तिक जमा (पी डी) खातों में अवशेष रकम का मिलान न कराया जाना और इन खातों में बिना खर्च किये गए बैलेंस को राज्य के समेकित निधि में वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पहले ट्रांसफर न किया जाना लोकनिधि के दुरूपयोग, कपट एवं गबन को इंगित करता है.          

उत्तर प्रदेश वैयक्तिक लेखा खाता नियमावली 1998 के अनुसार यदि किसी वैयक्तिक खाते में पिछले 3 वर्षों में कोई लेनदेन न हुआ हो तो ऐसे खातों को बंद किये जाने हेतु सम्बंधित कोषाधिकारी को सक्षम प्राधिकारी से लिखित अनुरोध करना होता है. और यदि 3 माह के अंदर कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता है महालेखाकार से सलाह लेकर सम्बन्धित एकाउंट हेड में बची अवशेष निधि को राज्य के समेकित निधि (Consolidated Fund) में ट्रांसफर कर वैयक्तिक (पी डी) खाते को बंद कर दिए जाने का प्रावधान है. लेकिन CAG ने आडिट में पाया गया कि 108.70 करोड़ रूपये अनियमित रूप से ऐसे वैयक्तिक (पी डी) खातों में जमा थे जो 3 वर्षों से अधिक समय से संचालित ही नहीं किये जा रहे थे और इनपर विभाग के जिम्मेदारों द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया जा सका था.

लेकिन CAG आडिट में यह बात सामने आयी कि राज्य सरकार द्वारा वैयक्तिक जमा खातों के संचालन के लिए “लेखा शीर्षक 8443-सिविल जमा-106-वैयक्तिक जमा” का प्रावधान है लेकिन इसका उपयोग न करते हुए वित्त विभाग के अफसरों द्वारा एक अन्य हेड से वैयक्तिक (पी डी) खातों का संचालन किया जाता है जोकि आपत्तिजनक व नियमविरुद्ध है. CAG की जांच में सामने आया कि 1328 पी डी (वैयक्तिक) खातों में कुल 4688.14 करोड़ की धनराशि अवशेष थी. जिसमें से 31 पी डी खाते ऐसे एकाउंट हेड 8342-अन्य जमा-120-विविध जमा में ही कुल 2460.82 करोड़ की रकम पड़ी थी जोकि कुल अवशेष रकम के आधे से अधिक नियम विरुद्ध जमा की गयी थी.

इस पर CAG ने घोर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह प्रथा विधायिका के उस अभिप्राय का उल्लंघन करती है जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी वित्तीय वर्ष के लिए अनुमोदित रकम को उसी वित्तीय वर्ष में खर्च कर लिया जाय. वित्तीय व्यवस्था की यह दुरावस्था प्रदेश के कुल 77 कोषागारों में से मात्र 17 कोषागारों की आडिट की एक बानगी मात्र है जो किसी ख़ास उद्देश्य के लिए वैयक्तिक जमा खाता खोलने के लिए दिए गये प्राधिकार का दुरूपयोग दर्शाती है.

ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में की जा रही लैप्स बजट को छिपाने की कोशिश

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