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रोस्टर के अनुसार समूह ग और घ के 50 % कर्मचारियों को बुलाने के निर्देश में शासनादेश का पेंच बता रहे अधिकारी

#शासनादेश का हवाला दे मंत्री के अनुमोदन की शर्त को आधार/औजार बना रहे अधिकारी.

अफसरनामा ब्यूरो

लखनऊ: राजधानी में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी से हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं. बुधवार को राजधानी लखनऊ के अपर नगर आयुक्त अमित कुमार और मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह समेत 11 लोग कोरोना पाजीटिव पाये जाने के बाद दो दिन के लिए आम जनता के लिए नगर कार्यालय बन्द कर दिया गया है. इसके बाद रोस्टर के अनुसार समूह ग और घ के 50 % कर्मचारियों को बुलाने के निर्देश नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने जारी कर दिये.

लेकिन सूबे के अधिकांश विभागों के हेडक्वार्टर कहे जाने वाले इंदिरा भवन- जवाहर भवन सहित अन्य कई जगहों पर स्थिति सरकारी कार्यालयों में विभागों के अधिकारी रोस्टर के अनुसार समूह ग और घ के कर्मचारियों को बुलाये जाने की व्यवस्था लागू नहीं कर रहे हैं. उनके द्वारा इसके लिए शासनादेश का हवाला देते हुए मंत्री के अनुमोदन की शर्त को आधार/औजार बना रहे हैं. जबकि बुधवार को फिर जवाहर भवन का दूसरा तल सील रहा क्योंकि खाद्य रसद विभाग का एक कर्मचारी कोरोना पाजिटिव पाया गया था. इसके बाद अन्य विभागों के कर्मचारियों में भी दहशत और निराशा का माहौल बना रहा.

बताते चलें कि शासन के कार्मिक विभाग ने 9 जुलाई गुरूवार को एक शासनादेश जारी किया था जिसके दिशा-निर्देशों के अनुसार सरकारी विभागों में सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार रखने के लिए समूह ग और घ के 50% कर्मचारियों की उपस्थिति रोस्टर के आधार पर सुनिश्चित कराते हुए 14 जुलाई तक शासन को सूचना भेजी जानी थी लेकिन शर्त यह थी कि इसका अनुमोदन विभागीय मंत्री से प्राप्त किया जाना था. बस खेल यहीं से शुरू हो गया और शासन का आदेश अभी तक लागू नहीं हो पाया क्योंकि कई विभाग या तो विभागीय मंत्री को अनुमोदन के प्रस्ताव नहीं भेज पाये या उन्हें अनुमोदन मिल नहीं पाया. बहरहाल 14 जुलाई बीत चुकी है और सरकारी मुलाजिमों में फैल रहे कोरोना संक्रमण की नित नयी सूचना शासनादेश की व्यवस्था को मुंह चिढ़ाते हुए अपने पूरे शबाब पर है और विभागों के आला अधिकारियों का रूतबा भी अपनी बुलंदी पर कायम है.

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