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पदोन्नति अटकने से लेखा कार्मिकों में आक्रोश, शासन के वित्त विभाग की चुप्पी से जारी है मनमानी

#वित्त सेवा के उच्च वेतनमान की डी०पी०सी० कर चुका है शासन.

#वित्त नियंत्रक समय से नहीं भेजते हैं ए०सी०आर०, आंतरिक लेखा निदेशालय के गठन के बाद जटिलताएं और बढ़ी.

राजेश तिवारी
लखनऊ : कोरोना महामारी के दौरान जब सूबे में शीर्ष अफसरशाही सहित करीब करीब अन्य सभी सेवाओं के शीर्ष पदों में पदोन्नति निर्बाध रूप से की जा रही है. यही नहीं खुद  वित्त विभाग में उच्च वेतनमान में कार्यरत अधिकारियों के प्रमोशन और पोस्टिंग की प्रक्रिया भी बिना रुकावट के चल रही है. तो उन्ही अधिकारियों के मातहत यानी निचले तबके के कर्मचारी अपने जायज हक से महरूम हैं और शासन से आस लगाये बैठे हैं. कुछ अफसरों द्वारा कर्मचारियों के प्रमोशन जैसे गंभीर सेवा प्रकरणों में रोड़ा लगाये जाने की खबरें भी चर्चा में हैं. ऐसे हालात में सचिवालय से लेकर पीजीआई तक के संवेदनशील कार्यालयों के कर्मचारियों में काफी नाराजगी है और वे अपने प्रमोशन तथा अन्य समस्याओं को लेकर आंदोलन की धमकी भी दे चुके हैं. कमोबेश यही स्थिति आईसीडीएस, वाणिज्य कर, परिवहन विभाग, और सूबे के हिसाब किताब रखने वाले अकाउंटेंसी के कर्ता-धर्ता आंतरिक लेखा निदेशालय में भी बरकरार है.
ताजा मामला आंतरिक लेखा परीक्षा निदेशालय में प्रमोशन ना होने के कारण सहायक लेखाकार और लेखाकारों में बढ़ रहे आक्रोश से जुड़ा है. बताते चलें कि करीब दो साल पहले निदेशक आरपी सिंह के समय में लेखाकार और सहायक लेखाधिकारी के पद के लिए डीपीसी हुई थी. लेकिन दो साल बीतने पर भी प्रमोशन की  डीपीसी का मुहूर्त अभी तक नहीं बन पा रहा है. जबकि डीपीसी के लिए पद भी खाली हैं और उस पद पर प्रमोशन के लिए पात्र कर्मचारी भी उपलब्ध हैं. जानकार बताते हैं कि डीपीसी में रोड़ा बने अफसरों के अपने अलग-अलग निहितार्थ हैं.
हालांकि पिछले माह शासन की ओर से एक पत्र भी निदेशक आंतरिक लेखा परीक्षा को भेजा गया था. जिसमें चयन वर्ष 2019-20 और 20-21 के लिए लेखाकार के पद से सहायक लेखा अधिकारी के पद पर प्रोन्नति की कार्यवाही यथा शीघ्र पूर्ण करने की बात कही गयी थी. लेकिन अभी तक डीपीसी की प्रक्रिया पूर्ण नहीं की जा सकी है. समय पर डीपीसी न कराने के संबंध में यह तर्क दिया जा रहा है कि वर्ष 2017-18 से पहले की भी वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट (एसीआर) अलग-अलग विभागों के वित्त नियंत्रकों से आंतरिक लेखा परीक्षा निदेशालय में  प्राप्त होनी है जोकि अभी तक जमा नहीं कराई जा सकी है. इस संबंध में निदेशक आंतरिक लेखा, लेखा परीक्षा की ओर से सभी विभागों को पत्र भी भेजे गए हैं कि समय से एसीआर न भेजना शासन और मुख्यालय के दिशा निर्देशों की अनदेखी है.
फिलहाल जिनको एसीआर भेजनी है वह यानि अलग अलग विभागों के वित्त नियंत्रक, और जिनके पास भेजी जानी है वह यानी आंतरिक लेखा परीक्षा निदेशालय दोनों शासन के वित्त विभाग के अधीन हैं. इस तरह से यह पूरा मामला शासन के वित्त विभाग के संज्ञान है. ऐसे में विभाग के मुखिया अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल के द्वारा अब इस संबंध में क्या कार्रवाई की जाती है यह देखने वाली बात होगी.
afsarnama
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