
#निधि नारंग, निदेशक की संदिग्ध भूमिका और कारनामों की जांच की मांग के बाद निजीकरण को लेकर संघर्ष समिति का कारपोरेशन पर आरोप, निजीकरण के लिए कारपोरेशन द्वारा दिखाया गया राजस्व घाटा का आंकड़ा गलत.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पावर कारपोरेशन के निजीकरण को लेकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और प्रबंधन विगत कई माह से आमने-सामने हैं. संघर्ष समिति ने निजीकरण की प्रक्रिया में अहम् भूमिका निभाने वाले निदेशक वित्त निधि नारंग के सेवा विस्तार, उनके निवेश और उनकी कारपोरेट घरानों से नजदीकियों जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए जांच की मांग किया. और सेवा विस्तार न किये जाने की अपील सरकार से किया. जबकि प्रबंधन सेवा विस्तार देने के लिए शासन द्वारा मना किये जाने के बावजूद अड़ा है. और संघर्ष समिति पावर कारपोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल द्वारा सेवा विस्तार के लिए शासन को पुनः पत्र दिए जाने की बात कह रहा है.
संघर्ष समिति ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर निजीकरण की प्रक्रिया रद्द करने की मांग करते हुए कहा है कि निजीकरण का दस्तावेज लूट का दस्तावेज है. समिति ने आरोप लगाया है कि निजीकरण का निर्णय पावर कॉरपोरेशन के गलत घाटे के आंकड़ों पर आधारित है. इसमें सरकारी सब्सिडी और विभागीय बकाया राजस्व को जोड़कर घाटा दिखाया गया है जबकि वास्तव में कई वितरण निगमों में घाटा नगण्य या शून्य है. समिति ने अपने पात्र में निजीकरण की इस प्रक्रिया को अपारदर्शी बताते हुए इसको घोटाला करार दिया है. समिति का कहना है कि ट्रांजैक्शन कंसलटेंट के टेंडर में एकमात्र बोली और आरएफपी दस्तावेज में हितों के टकराव के प्रावधानों को शिथिल करने जैसे विवादास्पद कदम उठाए गए. विद्युत नियामक आयोग ने भी दस्तावेज पर आपत्ति के साथ उन्हें वापस भेजा.


बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण प्रक्रिया में ग्रांट थॉर्नटन को ट्रांजैक्शन कंसलटेंट के रूप में नियुक्त किया गया था. इस नियुक्ति को लेकर कुछ विवाद सामने आए, जिनमें हितों का टकराव और झूठे शपथ पत्र देने जैसे आरोप शामिल रहे. इन आरोपों के बावजूद, ग्रांट थॉर्नटन को निजीकरण प्रक्रिया से संबंधित आरएफपी तैयार करने के लिए बरकरार रखा गया. इस मामले में सीबीआई जांच की मांग भी लोगों द्वारा की गयी है.
उपभोक्ता परिषद् ने भी बिजली कंपनियों के बकाये को लेकर खिलासा किया
उपभोक्ता परिषद् के अवधेश कुमार ने “X” पर लिखा कि “उपभोक्ता परिषद् का बड़ा खुलासा, प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों पर 31 मार्च 2025 तक कुल सरकारी बकाया 15569 करोड़, निजीकरण होने वाली दोनों कंपनियों के ऊपर ही कुल सरकारी बकाया रुपया 8591 करोड़ है. जिसमें पिछले 6 महीने का कुल सरकारी बकाया लगभग 4500 करोड़ है.

