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संघर्ष समिति का आरोप, बिजली निजीकरण से निजी घराने फायदे में, सरकारी विद्युत् वितरण निगमों की हो रही अनदेखी, निजीकरण में घोटालों का अम्बार, समस्त निजीकरण प्रक्रिया संदेहास्पद

#निजीकरण में ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की शर्तें लागू, इससे निजी घरानों को मिलने वाला फायदा यदि सरकारी विद्युत् वितरण निगमों को दिया जाये, तो उनका होगा कायाकल्प, फिर निजीकरण की जरूरत नहीं. संघर्ष समिति ने ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का हवाला देकर उठाये कई सवाल, सीएम से निजीकरण को निरस्त करने की किया अपील.

अफसरनामा ब्यूरो

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में गर्म चल रहे बिजली निजीकरण प्रकरण में मंगलवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के नियमों और शर्तों का हवाला देते हुए सवाल उठाया और कहा कि ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार सरकार द्वारा जिन शर्तों पर निजीकरण किया जा रहा है, यदि सरकारी विद्युत् वितरण निगमों को दिया जाये तो उनका कायाकल्प हो जाएगा. संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की समस्त प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि निजीकरण के पहले सरकार यह बताए कि स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार निजीकरण के बाद निजी घरानों को कितने वर्ष तक और कितनी आर्थिक मदद सरकार करेगी? इसके साथ ही संघर्ष समिति ने घोटाले से भरे निजीकरण को निरस्त करने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फिर मांग करते हुए कहा कि तमाम घोटालों से भरे निजीकरण की सारी प्रक्रिया बहुत ही संदेहास्पद है.

ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के नियमों और शर्तों का हवाला देकर संघर्ष समिति ने पूछे सवाल

1. स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की धारा 2.2 (बी) में क्या? और उसपर संघर्ष समिति का सवाल

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केन्द्रीय पदाधिकारियों के अनुसार भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा सितंबर 2020 में जारी ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की धारा 2.2 (बी) में लिखा है कि जिस विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जा रहा है अगर वहां औसत बिजली विक्रय मूल्य और औसत राजस्व वसूली में अधिक अन्तर है तो निजीकरण के बाद सरकार निजी विद्युत कम्पनी को सब्सिडाइज्ड बल्क पॉवर परचेज कॉस्ट के आधार पर बिजली आपूर्ति तब तक सुनिश्चित करेगी जब तक निजी कम्पनी मुनाफे में नहीं आ जाती है.

उक्त धारा के सन्दर्भ में संघर्ष समिति का सवाल?

उक्त धारा के सन्दर्भ में संघर्ष समिति का कहना है कि “बिडिंग डॉक्यूमेंट की उक्त धारा के अनुसार सरकार यह स्पष्ट करे कि निजी कम्पनी को सब्सिडाइज्ड बल्क पॉवर परचेज कॉस्ट के आधार पर सरकार कितने वर्ष बिजली आपूर्ति कराएगी? और इस पर सरकार को कितने अरब रुपए की धनराशि खर्च करनी पड़ेगी?

2. निजीकरण के बाद ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार निजी घरानों को महंगे पावर परचेज एग्रीमेंट के एवज में सब्सिडाइज्ड बल्क पावर सप्लाई करने को लेकर संघर्ष समिति का सवाल?

संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार सरकार निजीकरण के बाद निजी घरानों को महंगे पावर परचेज एग्रीमेंट के एवज में सब्सिडाइज्ड बल्क पावर सप्लाई करेगी और इसका खर्चा सरकार उठायेगी. संघर्ष समिति ने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि सब्सिडाइज्ड बल्क सप्लाई का प्रतिवर्ष कितना खर्चा आएगा? और यह कितने वर्ष तक जारी रखा जाएगा?

3. इसके अलावा स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की धारा 1.1 (ई) के अनुसार निजी कंपनियों को क्लीन बैलेंस शीट दी जाएगी और घाटे तथा देनदारियों का सारा उत्तरदायित्व भी सरकार लेगी.

4. बिडिंग डॉक्यूमेंट की धारा 1.1 (एफ) के अनुसार सरकार 05 से 07 वर्ष तक या और अधिक समय तक निजी घरानों को वित्तीय सहायता भी सरकार देगी. और यह सहायता तब तक देती रहेगी जब तक निजी कंपनियां आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर न हो जाए और मुनाफा न कमाने लगे.

5. बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार 42 जनपदों की सारी जमीन मात्र 1 रूपये प्रतिवर्ष की लीज पर दी जाएगी. वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, प्रयागराज, कानपुर और अन्य स्थानों पर जिनका निजीकरण किया जा रहा है. ऐसी बेशकीमती जमीन को मात्र 1 रूपये की लीज पर दिया जाना कौन सा रिफॉर्म है?

उक्त के अलावा संघर्ष समिति का कहना है कि उत्तर प्रदेश के सरकारी विद्युत वितरण निगमों के घाटे का सबसे बड़ा कारण बहुत महंगी दरों पर निजी विद्युत उत्पादन घरों से बिजली खरीद के करार है. यहां तक कि ऐसे करार भी हैं जिनसे बिना बिजली खरीदे प्रति वर्ष 6761 करोड रुपए फिक्स चार्ज देना पड़ रहा है. इसके अतिरिक्त सरकार निजी घरानों को किसानों, बुनकरों आदि को मिलने वाली सब्सिडी की धनराशि भी देगी और सरकारी विभागों का बिजली राजस्व का बकाया भी देगी जो अभी सरकारी विद्युत वितरण निगमों को नहीं दे रही है.

ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की उक्त शर्तों को सामने रखकर संघर्ष समिति का कहना है कि “यदि यही सब करना है तो सरकारी क्षेत्र के विद्युत वितरण निगमों को लगातार सुधार के बाद कौड़ियों के मोल बेचने की जरूरत क्या है? फ़िलहाल बिजली के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 258 दिन पूरे हो जाने पर भी मंगलवार को प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन जारी रखा.

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