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निजीकरण का विरोध कर रही संघर्ष समिति ने उड़ीसा और चण्डीगढ़ में बिजली निजीकरण को बताया विफल, यूपी में बिजली निजीकरण को निरस्त करने की करी मांग

#चण्डीगढ़ में बिजली निजीकरण के बाद बिजली आपूर्ति और व्यवस्था हुई बेपटरी, मेयर हरप्रीत कौर बाबला ने उठाये सवाल. हालात इतने खराब कि मुख्य सचिव को संभालना पड़ रहा कमान.

#संघर्ष समिति ने आंकड़े देकर पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल और निधि नारंग, निदेशक वित्त पर कारपोरेट घरानों से मिलीभगत का एकबार फिर से आरोप, निजीकरण हेतु ट्रॉजैक्शन कंसल्टेंट आर.एफ.पी. डाक्यूमेंट को लूट का दस्तावेज बता तत्काल निरस्त करने की मांग किया.

#पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु ट्रॉजैक्शन कंसल्टेंट के चयन के डाक्यूमेंट में निजीकरण हेतु चण्डीगढ़ को टेस्ट केस बता यह तर्क दिया गया कि निर्बाध 24 घंटे होगी बिजली उपलब्ध जबकि परिणाम है सामने. इसके अलावा चण्डीगढ़ की तर्ज पर पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की 01 लाख करोड़ रुपए की परिसम्पत्तियों को बेचने हेतु, रिजर्व प्राइस मात्र 6500 करोड़ रुपए रखी गयी है.

अफसरनामा ब्यूरो

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण के विरोध में चल रहे विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सोमवार को उड़ीसा और चण्डीगढ़ में निजीकरण पूरी तरह विफल हो जाने की बात कह उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण का निर्णय निरस्त करने की मांग करते हुए एकबार फिर से पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष और निधि नारंग, पूर्व निदेशक वित्त पर कारपोरेट घरानों से मिलीभगत का आरोप लगाया है. संघर्ष समिति ने कहा कि चण्डीगढ़ में हाल ही में किया गया बिजली का निजीकरण पूरी तरह विफल हो चुका है. और उड़ीसा सहित देश के सभी भागों में और उ.प्र. में आगरा और ग्रेटर नोयडा में निजीकरण का प्रयोग पहले ही विफल हो चुका है. ऐसे विफल प्रयोग को उ.प्र. के 42 जनपदों पर थोपने का कोई औचित्य नहीं है. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय निरस्त किये जाने की मांग की है.

संघर्ष समिति, यूपी के केंद्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु ट्रॉजैक्शन कंसल्टेंट के चयन के आर.एफ.पी. डाक्यूमेंट में निजीकरण हेतु चण्डीगढ़ को टेस्ट केस बताया गया है. चण्डीगढ़ के विद्युत विभाग को गोयनका की एमीनेंट पॉवर कंपनी लिमिटेड को 01 फरवरी 2025 को बिजली कर्मियों के प्रबल प्रतिरोध के बावजूद सौंपा गया था. चण्डीगढ़ का निजीकरण करते समय यह तर्क दिया गया था कि निजीकरण के बाद 24 घण्टे निर्बाध गुणवत्ता परक विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होगी. और यूपी में भी निजीकरण के पीछे यही तर्क दिया जा रहा है. जबकि चण्डीगढ़ में निजीकरण के बाद आए दिन 02 घण्टे से 06 घण्टे तक बिजली की कटौती की जा रही है और आम नागरिकों को भीषण गर्मी में बिना बिजली के उबलना पड़ रहा है. निजीकरण के बाद मात्र 06 महीने में ही चण्डीगढ़ में बिजली आपूर्ति पूरी तरह पटरी से उतर गयी है. उन्होंने बताया कि चण्डीगढ़ की मेयर हरप्रीत कौर बाबला ने कहा है कि निजीकरण के बाद आम उपभोक्ताओं की शिकायत सुनने वाला कोई नहीं है और निजी कंपनी की हेल्पलाईन भी पूरी तरह निष्क्रिय पड़ी है. चण्डीगढ़ रेजीडेंट एसोसिएशन वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष हितेश पुरी का बयान है कि घरेलू उपभोक्ताओं खास कर गरीब उपभोक्ताओं की बिजली कटौती आए दिन हो रही है, जो 06 महीने पहले सरकारी क्षेत्र में नहीं होती थी. हालात इतने खराब हो गए हैं कि मुख्य सचिव को सीधे अपने हाथ में कमान लेनी पड़ी है.

यूपी में निजीकरण हेतु तैयार आर.एफ.पी. डाक्यूमेंट चण्डीगढ़ की तर्ज पर किया गया तैयार, संघर्ष समिति ने दिखाया नुकसान का आईना

संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु तैयार किये गए आर.एफ.पी. डाक्यूमेंट चण्डीगढ़ के आर.एफ.पी. डाक्यूमेंट के आधार पर तैयार किया गया है. चण्डीगढ़ में लगभग 22 हजार करोड़ रुपए की विद्युत विभाग की परिसम्पत्तियों को बेचने हेतु मात्र 124 करोड़ रुपए की रिजर्व प्राइस रखी गयी थी और इस डाक्यूमेंट के आधार पर चण्डीगढ़ का विद्युत विभाग मात्र 871 करोड़ रुपए में बेच दिया गया. इसी तरह उ.प्र. पॉवर कार्पोरेशन के चेयरमैन और पूर्व निदेशक वित्त निधि नारंग द्वारा कार्पोरेट घरानों की मिलीभगत से पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की 01 लाख करोड़ रुपए की परिसम्पत्तियों को बेचने हेतु चण्डीगढ़ की तर्ज पर रिजर्व प्राइस मात्र 6500 करोड़ रुपए रखी गयी है. इस प्रकार यह आर.एफ.पी. डाक्यूमेंट लूट का दस्तावेज है, अतः इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए.

ऐसे में उत्तर प्रदेश के 42 गरीब जनपदों में बिजली के निजीकरण का भयावह प्रयोग करने के पहले यूपी में ही ग्रेटर नोयडा और आगरा के निजीकरण की समीक्षा किया जाना बहुत जरुरी है. उल्लेखनीय है कि ग्रेटर नोयडा में निजी कंपनी के खराब परफार्मेंस को देखते हुए उ.प्र. सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय में ग्रेटर नोयडा का निजीकरण का करार रद्द कराने के लिए मुकदमा लड़ रही है. इसी प्रकार आगरा में टोरेंट पॉवर कंपनी ने पॉवर कार्पोरेशन का 2200 करोड़ रुपए का बिजली राजस्व हड़प लिया है और निजी कंपनी को लागत से कम मूल्य पर बिजली देने के चलते पॉवर कार्पोरेशन को 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.

इसके अलावा निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों का जोरदार प्रदर्शन जारी है. सोमवार को वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, मेरठ, आगरा, बस्ती, आजमगढ़, मिर्जापुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोयडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, बरेली, आयोध्या, देवीपाटन, अलीगढ़, मथुरा, एटा, सुल्तानपुर, ओबरा, अनपारा, पिपरी, जवाहरपुर, पारीछा, पनकी में निजीकरण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किए गए.

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