
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : 28 नवम्बर 2024 को “अफसरनामा” द्वारा “यूपी में मोटर ट्रेनिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों पर सरकार के फैसलों की मार, छिनती रोजी के चलते रोटी का संकट” नाम से एक स्टोरी के माध्यम से परिवहन विभाग द्वारा जारी (अब रद्द हो चुकी) SOP की व्यावहारिक समस्याओं को विस्तार से समझाते हुए एक स्टोरी प्रकाशित किया था. लेकिन सरकार और परिवहन विभाग इसको संज्ञान न लेकर हीला-हवाली करता रहा. अंत में “उत्तर प्रदेश मोटर ट्रेनिंग स्कूल एसोसिएशन” को माननीय उच्च न्यायालय से राहत मिली और उक्त “SOP” को शासन ने निरस्त करने का आदेश पारित किया.

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिनांक 27.04.2023 को मोटर ट्रेनिंग स्कूलों (नवीन एवं विद्यमान) के संचालन हेतु एक विवादित एसओपी जारी की गई थी. इस एसओपी की अनेक धाराएँ अवैध, असंवैधानिक और अव्यवहारिक थीं. जिसके बारे में “अफसरनामा” ने अपनी स्टोरी में विस्तार से लिखा था. और इस SOP का विरोध करते हुए “उत्तर प्रदेश मोटर ट्रेनिंग स्कूल ओनर्स एसोसिएशन” ने जुलाई 2023 में माननीय उच्च न्यायालय, प्रयागराज में एक रिट याचिका भी दायर किया था.
इसी दायर याचिका पर सुनवाई कर माननीय उच्च न्यायालय ने 25.10.2024 को एसोसिएशन की आपत्तियों को उचित ठहराया और विवादित एसओपी को निरस्त करने का आदेश पारित किया. इसके उपरांत, एसोसिएशन ने परिवहन विभाग एवं राज्य सरकार से माननीय न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करने का बार–बार निवेदन किया, किन्तु परिवहन विभाग एवं शासन ने उदासीनता दिखा टाल–मटोल का रवैया अपनाए रहे. जिसके ऐसे में मजबूर होकर करीब 08 माह बाद एसोसिएशन को पुनः न्यायालय का द्वार खटखटाना पड़ा और माननीय उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल करनी पड़ी.
इसी के क्रम में माननीय उच्च न्यायालय ने 11.07.2025 को अवमानना कार्यवाही की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को दोषी माना तथा प्रमुख सचिव (परिवहन) को नोटिस जारी कर 26.08.2025 तक प्रत्युत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया. जिसके बाद राज्य सरकार ने अपना पूर्व में जारी एसओपी पूर्णतः निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया. उच्च न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत और ख़ुशी जाहिर करते हुए “उत्तर प्रदेश मोटर ट्रेनिंग स्कूल ओनर्स एसोसिएशन” ने कहा कि उनकी यह विजय केवल उत्तर प्रदेश एसोसिएशन की ही नहीं, बल्कि अखिल भारतीय महासंघ एवं हम सभी की सामूहिक विजय है. और यह सभी के हयोग, संघर्ष और एकजुटता के कारण ही संभव हो पाया है.
“अफसरनामा” ने भी विवरण के साथ उठाया था यह मुद्दा….
