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यूपी में बिजली निजीकरण की प्रक्रिया और पारदर्शिता पर उठ रहे सवालों का प्रबंधन के पास नहीं कोई जवाब, पूर्व आईएएस अफसर ने भी उठाये सवाल   

#निजी घरानों के संगठन “आल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन (AIDA)” की कार्यशैली और सेवारत व सेवानिवृत्त  अफसरशाहों के इसके पदाधिकारी बनने से पावर कारपोरेशन के प्रति वफ़ादारी पर उठ रहे सवाल?   

अफसरनामा ब्यूरो       

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण प्रक्रिया की पारदर्शिता और इसके संभावित नुकसान के आंकड़ों और आशंकाओं के समाधान हेतु अभी तक प्रबंधन और सरकार की तरफ से कोई पहल सामने नहीं आयी है. निजीकरण को लेकर सक्रिय आल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन (AIDA) के पदाधिकारियों में पावर कारपोरेशन के वर्तमान और पूर्व अध्यक्ष आशीष गोयल और आलोक कुमार का शामिल होना सवालों में है. AIDA जोकि एक निजी घरानों से जुडी कंपनियों का बनाया हुआ संगठन है, ऐसे में यूपीपीसीएल के चेयरमैन पद पर रहते हुए आशीष गोयल पदाधिकारी कैसे बन सकते हैं. जबकि यूपीपीसीएल के पूर्व चेयरमैन इस एसोसिएशन में पदाधिकारी की हैसियत से पत्र जारी कर डिस्कामों से सदस्य बनने और उनको मिलने वाली सुविधाओं का जिक्र कर रहे हैं.  

डिस्कामों को अलोक कुमार की तरफ से सदस्यता के लिए भेजा गया पत्र

#पूर्व आईएएस अफसर 1965 बैच के EAS Sharma ने भी निजीकरण और आल इंडिया डिस्काम एसोशियन व उसके ब्यूरोक्रेट्स पदाधिकारियों को लेकर खड़ा कर चुके हैं सवाल?

बिजली के निजीकरण को लेकर आल इंडिया डिस्काम एसोशियन (AIDA) की भूमिका और इसके डायरेक्टर जनरल बने आलोक कुमार की भूमिका को लेकर पूर्व आईएएस अफसर 1965 बैच के EAS Sharma ने इसके चेयरमैन को मेल लिखकर नाराजगी व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि “मुझे आश्चर्य है कि एक पूर्व केंद्रीय ऊर्जा सचिव ऐसी संस्था से जुड़ गए, जबकि उन्हें अच्छी तरह पता था कि यह संस्था निजीकरण और स्मार्ट मीटर आपूर्तिकर्ताओं के लिए पैरवी करेगी. ऐसा लगता है कि सीबीआईपी (CBIP) इसमें अहम भूमिका निभा रहा है. उन्होंने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA)को भी इसमें शामिल किया है.” EAS Sharma ने डिस्काम एसोसिएशन के अध्यक्ष को ईमेल के माध्यम से पत्र लिखकर एसोसिएशन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने इसके लिए लड़ाई लड़ने और जांच करने की भी बात कही है.  बताते चलें कि सरकारी बिजली निगमों और निजी कंपनियों ने मिलकर “आल इंडिया डिस्काम एसोशियन (AIDA)” (DISCOM) बनाया है. जिसके सदस्य या फिर प्रतिनिधि विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन दौरों में भागीदारी, जिसके लिए AIDA अंतर्राष्ट्रीय हवाई किराया और होटल आवास सहायता प्रदान करता है. प्रतिनिधि विभिन्न उच्च-स्तरीय सम्मेलनों/प्रदर्शनियों में भाग लेते हैं और अन्य देशों की वितरण कंपनियों के संपर्क दौरे करते हैं.    

“सेवानिवृत्त आईएएस EAS शर्मा का “आल इंडिया डिस्काम एसोशियन (AIDA)” के अध्यक्ष को भेजा गया ईमेल”

#यूपीपीसीएल अध्यक्ष आशीष गोयल पूर्व अध्यक्ष अलोक कुमार, और निदेशक वित्त रहे निधि नारंग के निजी घरानों से सम्बन्ध व कारनामें रहे हैं चर्चा में.   

निजीकरण के विरोध में उतरी विद्युत् संघर्ष समिति ने भी निजी घरानों से संबंधों को लेकर कई बार अलोक कुमार, आशीष गोयल और निधि नारंग सवाल उठा चुकी है. उत्तर प्रदेश पवार कारपोरेशन के तीन बार सेवा विस्तार पाए निदेशक वित्त रहे निधि नारंग, जिनको कि बिजली निजीकरण के लिए निजी घरानों का वकील कहा जाता था, के सेवा विस्तार की बेचैनी प्रबंधन के स्तर से जाहिर रही. और भारी विरोध के चलते सेवा विस्तार नहीं मिल सका था. ऐसे में अलोक कुमार और आशीष गोयल का डिस्काम एसोसिएशन से जुड़े रहना, निजी घरानों की कंपनियों का शुभचिंतन जाहिर है. उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के पूर्व अध्यक्ष अलोक कुमार वही हैं जिनके कार्यकाल में बिजली विभाग का #GPF घोटाला हुआ था और दागी कंपनी #DHFL का नाम आया था. और इसी मामले में इनको पावर कारपोरेशन पद से हटना पड़ा था. प्रकरण में सीबीआई जांच भी हुई थी जिसमें कुछ को जेल हुआ और कुछ के खिलाफ अभियेजन स्वीकृत पत्र शासन में लम्बित बताया जाता है.

#आल इंडिया डिस्काम एसोशिएसन (AIDA) को यूपीपीसीएल द्वारा दिया गया चंदा भी सवालों में?  

“आल इंडिया डिस्काम एसोशिएसन (AIDA)”, एक डिस्काम एसोशियन है और डिस्काम एक डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी है. ऐसे में पावर कारपोरेशन जोकि एक ट्रेडिंग कंपनी है, कैसे और किस आधार पर किसी दूसरी संस्था को पैसा दे सकती है. जानकारी के अनुसार यूपी पावर कार्पोरेशन डिस्काम न होते हुए भी  डिस्कामों के किसी ऐसे संघ को क्यों चंदा दिया? जिस संघ के विषय वस्तु या संकल्प में पावर कार्पोरेशन का हित दिखता ही नहीं. और यह परिपाटी कितनी हितकर है इसका भी आंकलन जरूरी है. एक तरफ सरकार और प्रबंधन इन निगमों का घाटा बताकर निजीकरण करने पर आमादा है और दूसरी तरफ इन्हीं घाटे में चल रहे निगमों से चंदा बाँट रही है.

पूरी खबर के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें…….

घाटे में बता निजीकरण करने वाले निगमों से “आल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन (AIDA)” को चंदा, सब कायदे क़ानून से उपर!

#प्रीपेड मीटर की गुणवत्ता और परिणाम को लेकर बेखबर प्रबंधन, उपभोक्ता परिषद् के सवालों को कर रहा नजरंदाज.

राज्य उपभोक्ता परिषद् द्वारा प्रीपेड मीटर योजना को लेकर इसकी गुणवत्ता और परिणाम पर रोज कुछ न कुछ आंकड़े देकर खुलासे कर रहा है. लेकिन प्रबंधन इस से बेखबर होकर अब सभी नए कनेक्शन पर प्रीपेड मीटर लगाने का आदेश दे दिया है. पॉवर कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने सभी विद्युत वितरण निगमों के निदेशकों को इसके सम्बन्ध में निर्देश जारी किए हैं. दरअसल, प्रदेश में पहले से लगे मीटरों को बदल कर नया स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा रहा है. अब तक करीब 37 लाख मीटर लगाए जा चुके हैं.  

#बिजली निजीकरण से पहले विभाग के हजारों पदों को समाप्त करने की साजिश का संघर्ष समिति का आरोप .

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर वर्टिकल सिस्टम लागू करने की तैयारी का हवाला देकर निजीकरण से पहले हजारों पद समाप्त करने की साजिश साजिश का आरोप लगाया है. संघर्ष समिति के अनुसार लेसा में 2055 नियमित और करीब 6000 संविदा कर्मियों के पद मनमाने ढंग से समाप्त कर प्रबंधन प्रदेश की राजधानी की बिजली व्यवस्था पटरी से उतारने का काम कर रहा है. लेसा में अधीक्षण अभियंता स्तर के 12 पद स्वीकृत है उन्हें घटाकर आठ किया जा रहा है. अधिशासी अभियंता स्तर के 50 स्वीकृत पदों को घटाकर 35 किया जा रहा है. सहायक अभियंता स्तर के 109 स्वीकृत को घटाकर 86 किया जा रहा है. ऐसे ही अन्य नियमित पदों में कटौती की जा रही है. छंटनी की सबसे बड़ी मार संविदा कर्मियों पर पड़ रही है. और जो बचे हैं उनकी तैनाती अफसरों के घरों में है. ऐसे में बिजली व्यवस्था पटरी पर रहे यह बड़ा सवाल बना है?

  

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