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संत से पहले अब श्रीमंत योगी

    # अल्पसंख्यकों में प्रतिभा की कमी नहीं, मदरसों को बंद करने के बजाय उनका      आधुनिकीकरण जरूरी. 

ए एन ब्यूरो

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साबित किया कि अब वे संत से पहले श्रीमंत हैं. समाजवादी पार्टी की तुष्टिकरण सियासत का विरोध कर और एक कट्टर हिंदू छवि तथा अपने तीखे शब्दबाणों के लिए मशहूर योगी आदित्यनाथ ने गुरूवार को जब देश के नौ राज्यों व् केंद्र शासित प्रदेशों से आये अल्पसंख्यक व समाज कल्याण मंत्रियों तथा वरिष्ठ अधिकारियों की समन्वय बैठक के उदघाटन समारोह में अपना  भाषण दे रहे थे और अपने भाषण में जिस तरह से अल्पसंख्यकों को लेकर काफी संयमित भाषण दिया उससे लगने लगा कि अब वे हिन्दुत्ववादी तथा एक संत के अलावा श्रीमंत पहले हैं.

राजधानी लखनऊ के विधानसभा स्थित तिलक हाल में आयोजित कार्यक्रम के 9 राज्यों के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रियों व वरिष्ठ अधिकारियों की समन्वय बैठक के उदघाटन अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अल्पसंख्यकों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन उनको सही प्लेटफार्म नहीं मिल पा रहा है. सरकार इसके लिए कौशल विकास योजना के तहत एक सही प्लेटफार्म देने का काम कर रही है. मदरसों के बंद करने के विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मदरसों को बंद नहीं किया जाना चाहिए बल्कि उनका आधुनिकिकरण किया जाना चाहिए.

सूबे के मुखिया की कुर्सी सम्भालने के बाद मुख्यमंत्री योगी ने जब पहली बार रमजान माह के शुरू होने पर अपना बधाई सन्देश जारी किया था तब कयास लगाए जा रहे थे कि योगी अब अपनी छवि से ज्यादा उस कुर्सी की गरिमा का ख्याल रख रहे हैं जिसपर वे बैठे हैं. लेकिन अपने कार्यकाल के करीब सौ दिन पूरे होते-होते उन्होंने अपनी कार्यशैली में हिंदुत्व के अपने पुराने एजेंडे को बरकरार रखा और इस बात को लेकर आरएसएस ने बैठकें किन और मुख्यमंत्री को इस बात के लिए आगाह भी किया.

योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में आने के बाद महापुरुषों के नाम पर चल रहीं सरकारी छुट्टियों को रद्द करने का एक अहम फैसला किया था जिसको जनता ने सराहा भी था. लेकिन महापुरुषों के नाम पर हजरत अली के शहादत दिवस की छुट्टी रद्द और बारावफात की छुट्टी कांसिल किया था. बाद में इन छुट्टियों को बहाल कर यह मैसेज देने की कोशिश की गयी कि ईद और दशहरा का त्यौहार उनके लिए एक बराबर है इसमें कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता. केंद्र की मोदी सरकार भी आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती जिससे उसको सियासी नुकसान हो. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी का मदरसों और अल्पसंख्यकों पर दिया गया उनका यह भाषण उनकी दूर की सियासत का हिस्सा है.

 

 

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