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बदहाल नगर विकास विभाग, कानपुर नगर निगम में घमासान

यह है कानपुर नगर निगम के स्वच्छता मिशन की हकीकत….यह नमूना मात्र है.

#नगर आयुक्त अविनाश के खिलाफ पार्षदों का हंगामा, घर में घुसे.

#चहेते को दिया मिल्क बार, नमामि गंगे में भ्रष्टाचार, स्वच्छता अभियान में फर्जीवाड़ा. 

#भ्रष्टाचार का गढ़ बना कानपुर नगर निगम, कब होगी भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई.

अफसरनामा ब्यूरो

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में मोदी-योगी के दावों, वादों को ठेंगा दिखाने में जुटे नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार की राह पर दो कदम आगे चल रहे हैं कानपुर के नगर आयुक्त अविनाश सिंह. कानपुर नगर आयुक्त अविनाश ने नगर निगम की सरकारी जमीन अपने चहेते को मिल्क बार खोलने के लिए दे डाली है और काली सूची में चले गए मैन पावर प्रदाता कंपनी को फिर से मलाई काटने का काम पकड़ा दिया है. अविनाश सिंह ने मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे में भी खासा घालमेल किया है और स्वच्छता अभियान से लेकर स्मार्ट सिटी परियोजना को दागी एनजीओ के हाथों सौंप बहती गंगा में हाथ धो डाला है.

राजधानी लखनऊ सहित सूबे के अन्य निगमों में भ्रष्टाचार का खेल अपने चरम पर चल रहा है. यह खेल  ऐसा नहीं है कि अभी योगी सरकार में शुरू हुआ है बल्कि यह अखिलेश सरकार से अनवरत अभी तक जारी है और जिसको अब योगी सरकार भी रोक पाने में नाकामयाब हो गयी है. राजधानी लखनऊ के नगर आयुक्त उदय राज सिंह वर्मा के कारनामे पहले ही उजागर किए जा चुके हैं, नगर निगम कानपुर के आयुक्त अविनाश सिंह पूर्णतया नियम कानून को धज्जियां उड़ाते हुए धनोपार्जन में लिप्त हैं. सूत्रों की माने तो मंगलवार को कानपुर नगर निगम के  करीब 30 से 40 पार्षद नगर आयुक्त की इन कारगुजारियों से त्रस्त आकर उनके बंगले में घुस गए और गाली गलौज के साथ काफी भला बुरा कहा. सूत्रों के मुताबिक़ आगामी 1 मई को पार्षदों द्वारा एक स्वर से इस बात की शिकायत मुख्यमंत्री से करने की योजना है. इसके पहले भी अविनाश सिंह का निगम में तेल का खेल और एनजीओ का खेल तथा स्वच्छता रेटिंग में नोडल एजेंसी कार्वी को लेकर उजागर हो चुका है. ताज्जुब की बात यह है कि नगर आयुक्त कानपुर कारनामे पर कारनामे किए जा रहे हैं और नगर से करीब 80 किलोमीटर दूर बैठी सरकार को यह सब  दिखाई नहीं दे रहा है.

ताजा मामला जो प्रकाश में आया है उसमें कानपुर के नगर आयुक्त अविनाश सिंह का नाम एक जमीन आवंटन और मैन पावर सप्लाई करने वाली कंपनी से मिलीभगत को लेकर है. इसके अलावा  कर्मचारियों का PF गबन, उद्यान विभाग से विकास कार्यों का रिकॉर्ड गायब होना, पेमेंट की दर्जनों फाइलों पर फर्जी दस्तखत का होना और एडवांस यूजर चार्ज वसूलने का खेल नगर आयुक्त की शह पर निगम में अनवरत जारी है.

निगम में तेल के खेल और स्वछता मिशन में खेल करने के बाद कानपुर नगर आयुक्त अविनाश सिंह अब निगम की जमीन के खेल में उतर हुके हैं और नियमों को ताख पर रखकर अपने चहेते को काकादेव में मिल्क बार के लिए जमीन का आवंटन कर दिया है. अविनाश सिंह ने नगर निगम की कार्यकारिणी की अनुमति के बिना ही यह आवंटन कर दिया जबकि नियम यह है कि इस तरह के प्रस्ताव को पहले सदन और कार्यकारिणी पास करती है और फिर उसको शासन को आवंटन हेतु भेजा जाता है. निगम में उपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में नहाए लोगों में जोन-6 के जोनल अधिकारी अतुल कृष्णा ने आनन फानन में उक्त मिल्क बार का उद्घाटन भी करा दिया.

इसके अलावा नगर आयुक्त अविनाश सिंह की शह पर ही निगम के बाबू धर्मेश बाजपेई का एक और खेल सामने आया है जिसके चलते नगर निगम में मैन पावर सप्लाई करने वाली जेटीएन कंपनी ने लगाया कर्मचारियों को करोड़ो का चूना लगाते हुए 1800 कर्मचारियों के पीएफ के गबन का आरोप है.  कई विभागों में ब्लैक लिस्टेड हो चुकी जेटीएन कंपनी को फिर से 6 माह के लिए मैन पावर का काम दे दिया गया है. मैन पावर सप्लाई का टेंडर होने होने के बाद ई टेंडरिंग के नाम पर निरस्त कर अपने चहेते को मैन पावर का काम देने की तैयारी में हैं नगर आयुक्त अविनाश सिंह. निगम में उद्यान विभाग से विकास कार्यों का रिकॉर्ड गायब हो चुका है और उद्यान अधिकारी लम्बी छुट्टी पर चल रहे है.  एस्टीमेट की भी दर्जनों फाइलों में भी फर्जी दस्तखत का मामला सामने आया है. इसके अलावा निगम में एडवांस मे युजर चार्ज वसूलने का खेल भी चल रहा है.

भ्रष्ट्राचार का गढ़ बने कानपुर नगर निगम के जिम्मेदार लोगों के कारनामों की आंच करीब 80 किलोमीटर दूर बैठी प्रदेश सरकार तक कब तक पहुँचती है यह तो कहा नहीं जा सकता. लेकिन यह सवाल तो उठता है कि योगी के मंसूबों पर पानी फेरने का काम खुद उनके अपने मंत्रिमंडल में बैठे लोग और उनकी सरपरस्ती में उनके विभाग के अधिकारी ही कर रहे हैं. ऐसे में भ्रष्टाचार का गढ़ बने कानपुर नगर निगम में कब होगी भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की जांच और उनपर पर कार्रवाई फिलहाल यह एक बड़ा सवाल बन चुका है.

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