#महापुरुषों, शहीदों के नही बाबू के पिता के नाम से हो गयी लखनऊ की सड़क.
#कारसाज बेटे ने कुछ न करने धरने वाले पिता को पहुंचाया अमरत्व की उंचाई पर.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : ये कारनामा भी शुचिता, सुशासन के नाम पर सत्ता में आयी योगी सरकार के जमाने में ही हो सकता है. नगर निगम के एक अदने से बाबू ने जीवन में कुछ भी महत्वपूर्ण न करने वाले अपने पिता को अमरत्व प्रदान करते हुए राजधानी लखनऊ की एक सड़क ही उनके नाम पर कर दी है. राजधानी में जहां देश के नाम कुर्बानी देने वाले शहीदों के परिजन, स्वतंत्रता सेनानियों के घरवाले, देश दुनिया में नाम रोशन करने वाले के नाम पर सड़क का नामकरण करने की गुहार लगाते लोग थक रहे हैं, नगर निगम के एक लिपिक ने अपने पिता के नाम पर चमचमाती सड़क कर दी है. यह कारनामा तब हुआ जबकि योगी सरकार में एकलौते जीवनव्रती संघ कार्यकर्त्ता (संघ के कामों के लिए जीवन समर्पित करते हुए अविवाहित रहने वाले) सुरेश खन्ना के हाथों में नगर निगम की कमान है. राजधानी लखनऊ की मेयर भाजपा के लिए जीवन खपा देने वाले पूर्व विधायक व अटल के सहयोगी सतीश भाटिया की पत्नी, संयुक्ता भाटिया हैं.
वाकया लखनऊ के पाश इलाके गोमतीनगर के विराम खंड तीन का है जहां एक सड़क का नाम जे.एन.सिंह (स्व. जग नारायण सिंह) मार्ग रखा गया है. इलाके के लोगों कों हैरत हुयी कि यह जग नारायण सिंह कौन हैं और देश, प्रदेश व शहर के लिए उनका क्या योगदान है. पता चला कि उक्त महामना की एकमात्र खासियत यह है कि उनका योग्य बेटा सत्येंद्र कुमार सिंह नगर निगम का बाबू है और वर्तमान में उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा को कभी मेयर पद पर हराने के लिए खासी ताकत लगायी थी. इतना ही नही यह महामना जिनके नाम पर गोमतीनगर की इस सड़क का नाम रखा गया वो राजधानी नही चंदौली में पले, बढ़े, खेले, खाए और आगे गए हैं.
महज बाबूगिरी के दाम पर लखनऊ नगर निगम के आयुक्तों के खासुलखास बने रहने वाले सत्येंद्र कुमार सिंह के रसूख का आलम यह है कि बात बात में कुरसी उठा हंगामा काट देने वाले पार्षदों में से किसी एक ने भी स्वनामधन्य पिता जी के नाम पर सड़क का नामकरण करने का विरोध तक नही किया. कुछ एक स्थानीय लोगों के इस मुद्दे को उठाने और आक्रोश जताने पर तमाम भाजपा पार्षदों सहित निगम अधिकारियों ने बस खींसे चियार दी और चुप हो जाने की सलाह दे डाल.