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योगी सरकार की गुडबुक में प्रमोटी आईएएस अफसर

 #18 मंडलायुक्तों में 1 महिला अफसर सहित 9 प्रमोटी आईएएस हैं कमिश्नर.

#75 जिलों में 1 महिला जिलाधिकारी सहित 33 डीएम हैं प्रमोटी आईएएस. 

#6 मंडल मुख्यालयों पर भी प्रोन्नत अफसरों को ही बनाया गया जिलाधिकारी.

#सूबे के अलीगढ मंडल में कमिश्नर सहित सभी 4 जिलों के डीएम भी प्रमोटी आईएएस.

टी बी सिंह

लखनऊ : अखिलेश सरकार से शुरू हुए प्रांतीय सिविल सेवा के अफसरों के अच्छे दिन योगी सरकार में भी जारी हैं. वर्षों से सरकारों की उपेक्षा का शिकार रहे पीसीएस संवर्ग के इन अफसरों पर जहां पिछली सरकार में प्रमोशन से लेकर तैनाती तक सम्मान मिला वहीँ यह क्रम आज योगी सरकार में भी जारी है. सूबे के प्रशासन की रीढ़ कहे जाने वाले इस संवर्ग पर मुख्यमंत्री योगी के भरोसे का आलम यह है कि इस संवर्ग से आईएएस बने अफसरों की पूरे प्रदेश के करीब आधे जिलों में डीएम के पद पर तैनाती की गयी है तो प्रदेश के आधे मंडल के मंडलायुक्त भी पीसीएस से प्रमोटी अफसर ही हैं.

जिलों के प्रशासन के कुशल प्रबंधन में कार्यकारी पदों पर ज्यादा अनुभव रखने वाले ये प्रमोटी अफसर ज्यादा कामयाब रहते हैं. प्रधान से लेकर पटवारी तक की कार्यशैली से परिचित इन प्रमोटी अफसरों को हासिल महारत ही इनके प्रति सरकार के विश्वास का कारण है. फिलहाल प्रदेश के जिलों और मंडलों में मंडल कमिश्नर और जिलों के जिलाधिकारियों की तैनातियों पर नजर डालें तो सूबे के 33 जिलों के डीएम प्रोन्नति पाए आईएएस अफसर हैं और सूबे के 18 मंडलों में 9 मंडल के कमिश्नर भी प्रमोटी आईएएस ही हैं.

प्रमोटी मंडलायुक्तों की तैनाती पर नजर डालें तो 9 मंडलों में मुरादाबाद में अनिल राज कुमार, फैजाबाद में मनोज मिश्रा, अलीगढ में अजय दीप सिंह, आजमगढ़ में जगतराज, चित्रकूट में शरद कुमार सिंह, झांसी में कुमुद्लता श्रीवास्तव, मिर्जापुर में मुरली मनोहर लाल, सहारनपुर में सीपी त्रिपाठी और देवीपाटन मंडल में सुधेश कुमार ओझा की तैनाती योगी सरकार ने कर रखा है.

योगी सरकार ने प्रदेश के जिन जिलों में प्रमोशन से आईएएस बने इन अफसरों को जिलाधिकारी बनाया है वह सूबे के महत्वपूर्ण जिले माने जाते रहे हैं. फिलहाल प्रदेश के मंडल मुख्यालय सहित अन्य जिलों की कमान ये अफसर संभाल रहे हैं. मंडल मुख्यालय पर तैनात 7 जिलाधिकारियों में बरेली में वीरेंद्र कुमार सिंह, फैजाबाद में अनिल पाठक, मुरादाबाद में राकेश कुमार सिंह, अलीगढ में चन्द्र भूषण सिंह, आजमगढ़ में शिवा कांत द्विवेदी, बांदा में हीरालाल और देवीपाटन में प्रमान्शु श्रीवास्तव का नाम शामिल है.

इसके अलावा अन्य में गोरखपुर मंडल के महराजगंज जिले में अमरनाथ उपाध्याय, कुशीनगर में डॉ अनिल कुमार सिंह, फैजाबाद मंडल के अमेठी जिले में शकुन्तला गौतम, अम्बेडकरनगर में सुरेश कुमार, बाराबंकी में उदयभानु त्रिपाठी, चित्रकूट मंडल के महोबा जिले में सहदेव, लखनऊ मंडल के उन्नाव जिले में देवेन्द्र कुमार पाण्डेय, लखीमपुर में शैलेन्द्र कुमार सिंह, बरेली मंडल के बदायूं जिले में दिनेश कुमार सिंह, पीलीभीत में डॉ अखिलेश मिश्रा, मुरादाबाद मंडल के अमरोहा जिले में हेमंत कुमार, बिजनौर में अटल कुमार राय, संभल में अविनाश कृष्ण सिंह, अलीगढ मंडल के एटा जिले में आईपी पाण्डेय, कासगंज में आरपी सिंह, हाथरस में रमाशंकर मौर्य, आगरा मंडल के मथुरा जिले में सर्वग्यराम मिश्र, मैनपुरी में प्रदीप कुमार, झांसी मंडल के ललितपुर जिले में मानवेन्द्र सिंह, मेरठ मंडल के गौतमबुद्धनगर जिले में डॉ बीएन सिंह, कानपुर मंडल के कानपुर देहात जिले में राकेश कुमार सिंह, औरैया में श्रीकांत मिश्रा को तैनाती दी गयी है.

बताते चलें कि पिछले कई दशकों से उत्तर प्रदेश को छोडकर देश के ज्यादातर राज्यों में जिलाधिकारी अथवा डीसी के पदों पर राज्य सिविल सेवा से तरक्की पाकर भारतीय प्राशासनिक सेवा में आये अफसरों की तैनाती सीधी भर्ती से आये आईएएस अफसरों के मुकाबले संख्या में काफी अधिक होती रही है. जिलों की कार्य प्रगति के आधार पर जानकारों का कहना है कि अपने अनुभव कुशलता के चलते यदि अपवाद को छोड़ दिया जाय तो इनकी परफार्मेंश औरों से बेहतर रही है, और यही वजह है की पिछली सरकार से लेकर इस सरकार में भी इनपर भरोसा किया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश में पीसीएस से आईएएस में प्रोन्नति की सुस्त रफ़्तार के चलते पहले लम्बे समय तक सीधी भर्ती के आईएएस अफसरों का जिलों और मंडलों की तैनाती में एकाधिकार देखा जाता रहा है. एक वक्त तो 1976 बैच के सिर्फ एक अफसर चरणजीत सिंह बक्शी को आईएएस में प्रोन्नति के साथ डीएम के पद पर तैनाती मिली थी, शेष बैच और आगे के बैच के अफसरों को वर्षों तक तरक्की का इन्तजार करना पडा था. अगर पिछले दो दशकों का इतिहास देखें तो संवर्ग पुनर्गठन न होने के चलते कई दर्जन ऐसे पीसीएस अफसर आईएएस में प्रोन्नति नहीं पा सके और रिटायर हो गए जो सर्वथा योग्य थे. इन हालातों से आजिज कई अफसरों ने तो ज्यादा विलम्ब और वेतन की दृष्टि से आर्थिक नुकसान को देखते हुए आईएएस संवर्ग में जाने से ही इनकार कर दिया था. तारीफ़ करनी होगी अखिलेश यादव सरकार की जिसने पहल की और केंद्र सरकार के डीओपीटी से बेहतर समन्वय बनाकर बड़ी संख्या में पीसीएस अधिकारियों को आईएएस संवर्ग में प्रोन्नति का मार्ग प्रशस्त किया. और अभी 31 पीसीएस अफसरों के प्रमोशन का करीब 6 महीनों से अटके मसले को योगी सरकार ने हल किया और इन अफसरों को प्रमोशन मिल पाया.

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