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निजीकरण के विरोध सहित अन्य मुद्दों पर बिजलीकर्मियों और इंजीनियरों की हड़ताल शुरू 

#निजी घरानों से मंहगी बिजली खरीद हेतु सरकारी बिजली घरों को बन्द करने की नीति समाप्त की जाये.

#वेतन विसंगतियों का तत्काल द्विपक्षीय वार्ताकर समाधान, बिजली निगमों का एकीकरण किया जाय.

#वर्ष 2000 के बाद भर्ती हुए सभी कार्मिकों के लिए पुरानी पेन्शन प्रणाली लागू की जाये.

#सभी श्रेणी के समस्त रिक्त पदों पर नियमित भर्ती की जाये, संविदा कर्मियों को तेलंगाना सरकार के आदेश की तरह नियमित किया जाये.

#इलेक्ट्रिीसिटी (अमेण्डमेन्ट) बिल 2018 वापस लिया जाये और आगरा फ्रेन्चाईजी व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण निरस्त किया जाये.

अफसरनामा ब्यूरो 

लखनऊ: इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 के विरोध में बिजली कर्मियों का दो दिवसीय हड़ताल का मंगलवार को पहला दिन है. हड़ताल में देश के करीब 15 लाख बिजली कर्मचारी इंजीनियरों के शामिल होने का दावा किया गया है. मंगलवार से जारी दो दिवसीय इस हड़ताल में उत्पादन 465 केवी ट्रांसमिशन को अलग रखा गया है. बिजली कर्मचारियों का कहना है कि इस दौरान सभी कार्यों का बहिष्कार करते हुए कोई भी फाल्ट होने पर उसे दो दिन बाद ही अटेंड किया जाएगा. कार्य बहिष्कार से बड़े उत्पादन गृहों 400 और 765 केवी पारेषण और सिस्टम ऑपरेशन की शिफ्ट के कर्मचारियों को हड़ताल से अलग रखा गया है. जिससे बिजली का ग्रेड पूरी तरह फेल न हो.

बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति ने केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के संबंध में नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE) को लिखे पत्र को नाकाफी बताते हुए राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है. इसके तहत 8 और 9 जनवरी को यूपी समेत देशभर के 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर हड़ताल हैं. हड़ताल में लखनऊ के सभी बिजली कर्मचारी और इंजीनियर भी शामिल होंगे. बिजलीकर्मियों का कहना है कि बहिष्कार के दौरान सभी कार्यों का बहिष्कार किया जाएगा. बिजली कर्मचारियों की हड़ताल उस समय हो रही है जब देशव्यापी हड़ताल का ऐलान माकपा, भाकपा माले, फॉरवर्ड ब्लॉक, लोकतांत्रिक जनता दल और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी द्वारा किया गया है और इसमें बैंक बीमा और वामपंथी यूनियनों ने भी समर्थन का ऐलान किया है.

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने हड़ताल से अलग रहने का ऐलान किया है. उनका कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 का वे विरोध करेंगे और इस मसले  को केंद्र व् राज्य के ऊर्जा मंत्रियों के समक्ष रखकर उनसे वार्ता की जायेगी. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2018 अभी संसद के पटल पर नहीं रखे जाने और बिल पर प्राप्त आपत्तियों का परीक्षण कराये जाने की बात तो सरकार द्वारा कही जा रही है लेकिन बिल वापस किया जाएगा इस बात का कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा बिजली निगमों के एकीकरण, पुरानी पेंशन बहाली और संविदा कर्मियों के नियमितीकरण पर सरकार चुप है. बिजली संगठनों का मानना है कि यदि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल पारित हो गया तो सब्सिडी और क्रॉस सब्सिडी 3 साल में समाप्त हो जाएगी. जिसका सीधा मतलब है कि किसानों और आम उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो जाएगी. जबकि उद्योगों और व्यावसायिक संस्थानों की बिजली दरों में कमी हो जाएगी. संशोधन के अनुसार हर उपभोक्ता को बिजली लागत का पूरा मूल्य देना होगा. संशोधन के बाद बिजली की दरें 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट हो जाएंगी, जो बिल्कुल भी सही नहीं होगा.

हड़ताल पर चल रहे बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के संगठन ने एकता और दम दिखाने के समय की बात करते हुए 08 एवं 09 जनवरी को हडताल कर कार्य बहिष्कार करने की घोषणा की थी. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने निम्न बिन्दुओं पर अपनी मांग सरकार के समक्ष रखी है.

*प्रमुख माँग*

  1. बिजली निगमों का एकीकरण कर उप्र राज्य विद्युत परिषद लि0 का पुनर्गठन किया जाये. इलेक्ट्रिीसिटी (अमेण्डमेन्ट) बिल 2018 वापस लिया जाये और आगरा फ्रेन्चाईजी व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण निरस्त किया जाये.
  2. वर्ष 2000 के बाद भर्ती हुए सभी कार्मिकों के लिए पुरानी पेन्शन प्रणाली लागू की जाये.
  3. सरकारी क्षेत्र के बिजली उत्पादन गृहों का नवीनीकरण/उच्चीकरण किया जाये और निजी घरानों से मंहगी बिजली खरीद हेतु सरकारी बिजली घरों को बन्द करने की नीति समाप्त की जाये.
  4. बिजली कर्मियों की वेतन विसंगतियों का तत्काल द्विपक्षीय वार्ता द्वारा निराकरण किया जाये.
  5. सभी श्रेणी के समस्त रिक्त पदों पर नियमित भर्ती की जाये और नियमित प्रकृति के कार्यालयों में संविदा/ठेकेदारी प्रथा समाप्त कर संविदा कर्मियों को तेलंगाना सरकार के आदेश की तरह नियमित किया जाये.

 

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