
#निजीकरण के बाद ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी मेसर्स नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड पर घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को शेड्यूल के अनुसार बिजली की आपूर्ति नहीं करने का आरोप, सरकार नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड का वितरण लाइसेंस निरस्त कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में लड़ रही मुकदमा. पावर कारपोरेशन प्रबंधन अपनी ऐसी नाकामियों को दूर कर पारदर्शिता स्थापित करने में नाकाम.
#निजीकरण का विफल रहा है प्रयोग, यूपी में ग्रेटर नोएडा और आगरा में बिजली के निजीकरण से पावर कारपोरेशन को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान. संघर्ष समिति ने उप्र के सांसदों और विधायकों को पत्र भेजकर की मांग कि ऐसे में उप्र की गरीब जनता पर निजीकरण न थोपा जाय.
#आगरा डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी मेसर्स टोरेंट पावर कंपनी का 2010 से 2024 तक का वर्षानुसार देकर उठाया सवाल कि “यह कौन सा निजीकरण है जिसमें निजी क्षेत्र को बिजली आपूर्ति करने में ही पावर कारपोरेशन को 2434 करोड रुपए का हो चुका नुकसान.
#एग्रीमेंट के अनुसार आगरा डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी मेसर्स टोरेंट पावर ने बकाये बिजली राजस्व का एक भी रुपया अभी तक पावर कारपोरेशन को नहीं दिया. आगरा शहर में बिजली के कुल बकाये 2200 करोड़ का 10% इंसेंटिव का काटकर बाकी पैसा टोरेंट पावर को यूपी पावर कारपोरेशन को देना था.
#उड़ीसा में निजीकरण का प्रयोग तीसरी बार हुआ विफल. इसके आलावा विफलता के चलते अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी का प्रयोग उज्जैन, सागर, ग्वालियर, रांची, जमशेदपुर, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया में किया गया निरस्त.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सोमवार को 257वें दिन भी बिजली कर्मियों का निजीकरण को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी रहा. निजीकरण के विरोध में उतरी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति लगातार पावर कारपोरेशन प्रबंधन का वितरण कंपनियों से मिली भगत का आरोप लगाती रही है. निधि नारंग, निदेशक वित्त के सेवा विस्तार को एकबार शासन से मना होने के बावजूद फिर से सेवा विस्तार के लिए भेजा जाना और अब प्रदेश के सभी सांसदों और विधायकों को भेजे पत्र में संघर्ष समिति के दिए गए आंकड़े यह साबित करते हैं कि बिजली के निजीकरण की इस प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है. अन्य स्थानों पर निजीकरण किये गये और उनकी विफलता के उदाहरण सामने हैं. उत्तर प्रदेश में आगरा डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी मेसर्स टोरेंट पावर, निजीकरण के बाद ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी मेसर्स नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड के कारनामों और उनपर कार्यवाई के बजाय प्रबंधन की मेहरबानी, प्रबंधन की पारदर्शिता और कार्यशैली को दर्शाती है.
इसके आलावा निजीकरण के विरोध में उठाये जा रहे अन्य सवालों पर भी विचार करना और आमजन के सामने सवाल आना जरूरी है. ताकि पारदर्शिता की हिमायती योगी सरकार की साख पर कोई सवाल न उठ सके. निजीकरण को लेकर उठ रहे सवालों में 2017 के विधानसभा चुनाव में जारी भाजपा के संकल्प पत्र में 03 रूपये प्रति यूनिट की दर से बिजली देने के वादे और 45% अनुभवी संविदाकर्मियों को हटाने जैसे मुद्दे जहाँ सत्ताधारी दल और सरकार के लिए सियासी समस्या होंगे तो वहीँ विपक्ष को बैठे बैठाए मुद्दा मिल जाएगा. निजी घरानों को बेचने के पहले पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की परिसंपत्तियों के मूल्यांकन का सवाल और जनता की परिसंपत्तियां होने के नाते उसके मूल्यांकन के कागजातों को सार्वजनिक किये जाने की मांग महत्वपूर्ण हो जायेगी. और विपक्ष भी ऊर्जा मंत्री के ट्वीट 2017 में 41% एटीएंडसी हानियों से घटकर 2024 में एटीएंडसी हानियाँ 16.5% रह गई हैं, का हवाला देकर निजीकरण पर सवाल करेगा.
यूपी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश के सभी सांसदों और विधायकों को पत्र भेज कर उनसे निजीकरण के मुद्दे पर प्रभावी पहल करने की मांग किया है. संघर्ष समिति ने इसके लिए आंकडा पेश करते हुए कहा है की अभी तक उड़ीसा सहित अन्य स्थानों पर हुआ निजीकरण फेल रहा है. उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा और आगरा में बिजली के निजीकरण से पावर कारपोरेशन को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है और यह अभी भी लगातार जारी है. ऐसे में प्रदेश की जनता पर निजीकरण का विफल हो चुका प्रयोग थोपा न जाय. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय निरस्त कर ग्रेटर नोएडा और आगरा की विद्युत वितरण व्यवस्था को तत्काल सरकारी क्षेत्र में टेकओवर करना उचित होगा.
संघर्ष समिति ने भेजे पत्र में आंकड़े देकर पूछा कि आखिर ऐसे निजीकरण से क्या फायदा?
संघर्ष समिति ने आगरा डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी मेसर्स टोरेंट पावर कंपनी का 2010 से 2024 तक का विवरण भी सांसदों/विधायकों को भेजा. पावर कारपोरेशन के घाटे और डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी के मुनाफे को किया उजागर. पॉवर कॉरपोरेशन ने महंगी दरों पर बिजली खरीद कर टोरेंट पावर को सस्ती दर पर किया आपूर्ति. समिति का सवाल कि यह कौन सा निजीकरण, जिसमें निजी क्षेत्र को बिजली आपूर्ति करने में ही पावर कारपोरेशन को 2010 से 2024 तक हुआ 2434 करोड रुपए का नुकसान. आगरा डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी मेसर्स टोरेंट पावर कंपनी के बारे में सांसदों और विधायकों को भेजे गए पत्र में वर्ष 2010 से 2024 तक का प्रत्येक साल का विवरण दिया गया है. विवरण के अनुसार प्रत्येक वर्ष पॉवर कॉरपोरेशन ने महंगी दरों पर बिजली खरीद कर टोरेंट पावर को सस्ती दर पर आपूर्ति की है और इससे भारी घाटा होता जा रहा है. संघर्ष समिति ने सवाल किया कि यह कौन सा निजीकरण है जिसमें निजी क्षेत्र को बिजली आपूर्ति करने में ही पावर कारपोरेशन को 2434 करोड रुपए का नुकसान हो चुका है.
पावर कारपोरेशन से सस्ती बिजली खरीद और महंगी बेंच कर टोरेंट पावर ने केवल एक वर्ष में 800 करोड रुपए का कमाया मुनाफा
संघर्ष समिति ने कहा कि दरअसल यह नुकसान लगभग 10000 करोड रुपए का है. वर्ष 2023 – 24 में जहां पावर कारपोरेशन ने 05 रुपए 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर टोरेंट पावर को 04 रुपए 36 पैसे प्रति मिनट की दर पर बेचा. महंगी बिजली खरीद कर सस्ते में बेचने से पॉवर कॉरपोरेशन को वर्ष 2023 – 24 में 274 करोड रुपए का नुकसान हुआ है. आगरा औद्योगिक शहर होने नाते आगरा में बिजली विक्रय की दर 07 रुपए 98 पैसे प्रति यूनिट है. इस प्रकार सस्ती बिजली खरीद कर टोरेंट पावर ने केवल एक वर्ष में 800 करोड रुपए का मुनाफा कमाया है. यदि आगरा की बिजली व्यवस्था सरकारी क्षेत्र में रहती तो यह मुनाफा पावर कारपोरेशन को मिलता. इस प्रकार एक वर्ष में ही लगभग 1000 करोड रुपए का घाटा पावर कारपोरेशन को उठाना पड़ा है.
डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी मेसर्स टोरेंट पावर नहीं कर रहा एग्रीमेंट की शर्तों को पूरा, टोरेंट पावर ने आगरा शहर के बकाये बिजली राजस्व का एक भी रुपया अभी तक पावर कारपोरेशन को नहीं दिया
इसके आलावा संघर्ष समिति ने पत्र के माध्यम से 01 अप्रैल 2010 को पावर कारपोरेशन का आगरा शहर में बिजली राजस्व का 2200 करोड रुपए का बकाया था जिसे एग्रीमेंट के अनुसार टोरेंट पावर को एकत्र करके पावर कारपोरेशन को वापस करना था. इसके एवज में पावर कॉरपोरेशन 10% धनराशि टोरेंट पावर को इंसेंटिव के रूप में देती. आज 15 वर्ष व्यतीत हो गए हैं और टोरेंट पावर ने 2200 करोड रुपए की बकाया की धनराशि में एक पैसा भी पावर कारपोरेशन को वापस नहीं किया. संघर्ष समिति ने कहा कि इस प्रकार आगरा के अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी में हजारों करोड रुपए का नुकसान पावर कारपोरेशन को उठाना पड़ रहा है और पावर कारपोरेशन ने इस एग्रीमेंट को निरस्त करने के लिए एक बार भी टोरेंट पावर को नोटिस नहीं दिया.
संघर्ष समिति का आरोप ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी मेसर्स नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को शेड्यूल के अनुसार नहीं करती बिजली की आपूर्ति, सरकार नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड का वितरण लाइसेंस निरस्त कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में लड़ रही मुकदमा
इसी तरह ग्रेटर नोएडा के बारे में संघर्ष समिति ने सांसदों/विधायकों को भेजे पत्र में लिखा है कि ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी मेसर्स नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को शेड्यूल के अनुसार विद्युत आपूर्ति नहीं करती क्योंकि यह घाटे वाले क्षेत्र हैं. इसी कारण और कई अन्य शिकायतों के चलते उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड का वितरण लाइसेंस निरस्त कराने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा लड़ रही है.
उड़ीसा में निजीकरण का प्रयोग तीसरी बार हुआ विफल, इसके आलावा अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी का प्रयोग उज्जैन, सागर, ग्वालियर, रांची, जमशेदपुर, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया में विफलता के चलते किया गया निरस्त
संघर्ष समिति ने पत्र में उदाहरण देकर बताया है कि उड़ीसा में निजीकरण का प्रयोग तीसरी बार विफल हो गया है. उड़ीसा का विद्युत नियामक आयोग टाटा पावर की चारों कंपनियों के बहुत खराब परफॉर्मेंस के चलते 15 अगस्त के बाद टाटा पावर के विरुद्ध जन सुनवाई करने जा रही है. इसके अतिरिक्त अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी का प्रयोग उज्जैन, सागर, ग्वालियर, रांची, जमशेदपुर, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया में विफलता के चलते निरस्त किया जा चुका है.
इस तरह के आंकड़ों के साथ भेजे गए पत्र में सांसदों और विधायकों से संघर्ष समिति ने मांग की है कि वे अपने पद का सदुपयोग करते हुए प्रभावी पहल करें और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय निरस्त कराने की कृपा करें. फ़िलहाल संघर्ष समिति का निजीकरण के विरोध में चल रहा आंदोलन समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मचारियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन सोमवार को 257वें दिन भी जारी रखा.
उत्तर प्रदेश के सभी सांसदों और विधायकों को संघर्ष समिति द्वारा भेजा गया पत्र



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