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मैनेजर कार्मिक के हलफनामे ने चेयरमैन उर्जा एम् देवराज व अन्य को बनाया कोर्ट की अवमानना का दोषी, मिला आखिरी मौका

#चेयरमैन उप्रराविउनिलि एम. देवराज, अधीक्षण अभियंता दिवंग विजेंद्र पाल की अवमानना याचिका में हुए दोषी करार, अगली सुनवाई 02 जनवरी को.

अफसरनामा ब्यूरो

लखनऊ : सूबे को रोशन करने वाले विभाग में भी अंधेरा कम नहीं है. सरकार के दावे भले ही पारदर्शी व्यवस्था की हो लेकिन सूबे का ऊर्जा विभाग को इससे कोई लेना देना नहीं है और विभाग तमाम मामलों में तथ्यों को अँधेरे में रखकर भी अपना काम कर रहा है. जिसका जीता जागता प्रमाण ऊर्जा विभाग में स्मार्ट मीटर को लेकर चल रहे रस्साकसी के खेल और विभाग के चेयरमैन और अभियंताओं के बीच चल रही नूराकुश्ती से समझा जा सकता है. थर्मल पॉवर निगम कासिमपुर. अलीगढ़ के अधीक्षण अभियंता दिवंग विजेंद्र पाल की अवमानना याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेयरमैन उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड एम. देवराज सहित चार अधिकारियों को कोर्ट की अवमानना करने का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ आरोप निर्मित करने से पहले उन्हें कोर्ट के आदेश के पालन का अंतिम मौका दे दिया है. इसके बाद कोर्ट चेयरमैन एम् देवराज समेत सभी चार अफसरों पर कोर्ट की अवमानना का आरोप तय करते हुए कार्यवाई का निर्णय लेगी.

प्रकरण में कोर्ट ने याची की स्थिति की जानकारी मांगी तो जनरल मैनेजर कार्मिक अतुल कुमार सक्सेना ने व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर जानकारी दी कि नोटिस जारी होने के बाद प्रबंध निदेशक द्वारा एक अन्य अफसर राजीव कुमार जौहरी की अधीक्षण अभियंता पद पर तैनाती कर दी है. लेकिन याची को कार्यमुक्त कर लखनऊ संबद्ध करने की जानकारी कोर्ट को नहीं दी. कोर्ट ने याची की बहाली न कर दूसरे अधिकारी की अधीक्षण अभियंता के रूप में तैनाती को कोर्ट की जानबूझकर अवहेलना माना और चेयरमैन सहित अन्य अफसरों को एक अंतिम मौका देते हुए याचिका की सुनवाई 02 जनवरी 2023 को करने को कहा है. अब इसे मानवीय भूल कहा जाय या फिर नूराकुश्ती का परिणाम यह तो जिम्मेदार ही बता सकते हैं. लेकिन मैनेजर कार्मिक अतुल कुमार सक्सेना की कहानी भी कुछ कम नहीं है.

बिजली विभाग में एम् देवराज के आने के बाद से अभियंताओं व शासन तथा प्रबंधन के बीच कुछ अच्छा नहीं रहा था जिसके चलते तमाम खबरें आम हुईं थीं. लेकिन पनकी में तैनात रहे और अनियमितता के चलते मुख्यालय से अटैच हुए मैनेजर कार्मिक अतुल कुमार सक्सेना ने कोर्ट से भी खेलना शुरू कर दिया. जानकारों की मानें तो इसी के चलते चेयरमैन एम् देवराज समेत चार अफसरों को कोर्ट की अवमानना का दोषी मानते हुए अंतिम मौका मिला है. बताते चलें कि मुख्यालय में तैनाती से पहले अतुल कुमार सक्सेना पनकी में अधिशाषी अभियंता (ब्वायलर) के पद पर तैनात रहे. लेकिन गंभीर अनियमितता के चलते अतुल कुमार सक्सेना को मुख्यालय से अटैच किया गया था. जिसके बाद तत्कालीन निदेशक तकनीकि/कार्मिक से नजदीकियों के चलते इनको जाँच सेक्शन का हेड बना दिया गया था. अपने गुणों के मुताबिक़ अतुल ने मुख्यालय में बैठ कार्मिक सेक्शन के मैनेजर पद पर काम करते हुए चेयरमैन देवराज समेत अन्य पर कोर्ट की अवमानना का भागीदार बना दिया.

फिलहाल चेयरमैन सहित कुल चार अफसरों के खिलाफ यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने थर्मल पॉवर निगम कासिमपुर. अलीगढ़ के अधीक्षण अभियंता दिवंग विजेंद्र पाल की अवमानना याचिका पर दिया है. विजेंद्र पाल के अनुसार निगम कॉलेज का प्रबंधक होने के दौरान तीन खाली पदों के सापेक्ष सात सहायक अध्यापकों को लेक्चरर पद पर पदोन्नति देने की शिकायत पर विभागीय कार्रवाई की गई थी. इसमें दोषी ठहराते हुए उसे अधिशासी अभियंता के पद पर पदावनति दे दी गई, जिसे चुनौती दी गई. कोर्ट ने इस आदेश को रद्द करते हुए याची को स्टेटस तथा सभी परिलाभों सहित बहाल करने का आदेश दिया. लेकिन निगम के जिम्मेदारों द्वारा न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने पर अवमानना याचिका दायर की गई थी.

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