
#बिजली के निजीकरण में रही अहम् भूमिका, संजय मेहरोत्रा, निदेशक वित्त यू0पी0आर0ई0वी0 लखनऊ को मिला अतिरिक्त कार्यभार.
अफसरनामा ब्यूरो
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पावर कारपोरेशन के वित्त निदेशक रहे निधि नारंग को एक और सेवा विस्तार नहीं मिला. फ़िलहाल संजय मेहरोत्रा, निदेशक वित्त यू0पी0आर0ई0वी0 लखनऊ को उत्त प्रदेश राज्य विद्युत् उत्पादन निगम लिमिटेड लखनऊ के अतिरिक्त कार्यभार से अवमुक्त करते हुए उनके मूल पद के साथ-साथ निदेशक वित्त उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का अतिरिक्त कार्य निर्वहन हेतु आग्रिम आदेशों तक अथवा उक्त पद पर नियमित नियुक्ति होने तक तैनात किया गया है. जानकार इसे निजीकरण के विरोध में कड़ी संघर्ष समिति की एक बड़ी जीत मानते हैं. और पावर कारपोरेशन के निजीकरण में लगे निजी घरानों के लिए यह एक झटका है.

बताते चलें कि पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल द्वारा निधि नारंग के सेवा विस्तार हेतु भेजे गए पत्र से बिजली कर्मचारियों में भारी नाराजगी थी है और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने निजीकरण के नाम पर हो रही लूट को रोकने के लिए नवनियुक्त मुख्य सचिव एसपी गोयल को पत्र लिख अपील किया था. और पावर कारपोरेशन के चेयरमैन पर गंभीर आरोप लगाते हुए सवाल किया था कि “आखिर डॉक्टर आशीष गोयल एक व्यक्ति विशेष को बार-बार सेवा विस्तार देने के लिए क्यों लालायित हैं? कहीं यह सब निजी घरानों से मिली भगत का परिणाम तो न हीं है? संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि पॉवर कारपोरेशन का अध्यक्ष रहते हुए डॉक्टर आशीष गोयल ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के महामंत्री के रूप में काम कर रहे हैं और निजी घरानों का हित देख रहे हैं.
गौरतलब है कि 30 जुलाई को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निधि नारंग के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल के 14 जुलाई के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया था. लेकिन फिर से निधि नारंग का कार्यकाल बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल ने शासन को भेजा था. समिति के अनुसार प्रस्ताव में लिखा है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया अभी अधूरी है और निधि नारंग निजीकरण हेतु बनाई गई टेंडर मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष है. अतः उनका कार्यकाल 06 महीने के लिए और बढ़ा दिया जाए जिससे निजीकरण की प्रक्रिया सुगमता से पूरी हो सके.
संघर्ष समिति ने मुख्य सचिव एसपी गोयल को भजे गए पत्र में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया में शामिल रहे निदेशक वित्त निधि नारंग की भूमिका को प्रारंभ से ही विवादास्पद बताया है. समिति ने पत्र में लिखा है कि निधि नारंग की निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त किए जाने की प्रक्रिया में हितों के टकराव का प्राविधान हटवाने में बड़ी भूमिका रही है. निजीकरण हेतु नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन को झूठा शपथ पत्र देने के मामले में भी निधि नारंग ने ही क्लीन चिट दी है. निजीकरण हेतु नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन की निदेशक वित्त निधि नारंग से बहुत व्यक्तिगत निकटता है. यह आम चर्चा रही है कि ग्रांट थॉर्टन के लोग अधिकांश समय निधि नारंग के कमरे में ही बैठकर काम करते थे और निधि नारंग उन्हें गोपनीय पत्रावली भी दिखते थे.
“अफसरनामा” ने भी चलायी थी मुहिम…….
