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वाह रे यूपी का बिजली विभाग, अजब खेल व गजब कारनामें

#बिजली विभाग में शासनादेश का किया जा रहा उल्लंघन,समकक्ष को ही सौंप दी गयी जांच.

#जिला प्रशासन की सक्रियता से हुई सरिया लूट के खुलासे को मैनेज करने में जुटा विभाग.

#जिस जेई सुरेन्द्र कुमार की संलिप्तता की बात आ रही सामने, उसकी तैनाती अभी भी वहीँ.

#सरिया लूट को मैनेज करने वाला जेई अब खुद के बचने के मैनेजमेंट में जुटा.

#जेई सुरेन्द्र बचने के लिए अपने सत्ताधारी राजनीतिक आकाओं की लगा रहा परिक्रमा.         

अफसरनामा ब्यूरो 

लखनऊ : वाह रे यूपी का बिजली विभाग जहां पर अधिकारी खेल पर खेल कर रहे हैं वहीं उनके इस खेल पर पर्दा डालने वालों की भी विभाग में कमी नहीं है. और तो और इनके लिए शासनादेश को भी नजरअंदाज करना कोई बड़ी बात नहीं है. विभाग में बीएस तिवारी खुद में भ्रष्टाचार का पुलिंदा हैं, यूएस गुप्ता और जेई सुरेन्द्र कुमार की तैनाती में झोल ही झोल है, और जांच अधिकारी सुबीर चक्रवर्ती को जवाहरपुर भेजा जाना, चोर को खजाने की रखवाली के लिए लगाये जाने से कम नहीं है.

बात करते हैं बिजली विभाग के गद्दारों की जिनके सहारे फिलहाल घाटे में चल रहे इस विभाग को उबारने में लगी है योगी सरकार. करीब पौने 2 साल होने को हैं, जिस बिजली विभाग में भ्रष्टाचार व अनियमितताओं की दुहाई देती भारतीय जनता पार्टी नहीं थकती थी वह अनियमितता आज सुधर गई हो, अधिकारी सुधर गए हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता. माना कि बिजली की सप्लाई में सुधार हुआ है लेकिन निदेशालय में बैठे इन अधिकारियों की कारगुजारियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि बिजली विभाग में योगीराज में भी दीपक तले अंधेरा ही है.

बीएस तिवारी के हरदुआगंज काण्ड की जांच उन्हीं के समकक्ष संजय तिवारी को सौंपी गई जो कि करीब 8 से 10 महीने बीत जाने के बाद भी 1 इंच नहीं चल सकी है. वहीँ एटा के सरिया चोरी कांड कांड के ऑपरेशन इंचार्ज जेई सुरेंद्र कुमार को अभी उसी परियोजना में उसी जगह तैनात रखा गया है.

19 मार्च 2017 से पहले बिजली विभाग के भ्रष्टाचार का राग अलापने वाली भारतीय जनता पार्टी व इसके बाद विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री श्रीकांत शर्मा भी तमाम मौकों पर पूर्व की अखिलेश सरकार में विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का जिक्र करते रहे हैं. लेकिन कमाल तो अब हो रहा है जब आज श्री शर्मा को इसी बिजली विभाग की जिम्मेदारी संभाले लगभग 2 साल होने को है और खुद इनकी नाक के नीचे उसी अखिलेश सरकार के जमाने से जमें अधिकारी अपनी उसी आदत को बरकरार रखते हुए कारनामे करते जा रहे हैं. अफसरों के कारनामों की या तो इनको भनक नहीं है या फिर योगी सरकार में भी यह विभाग पिछली सरकार की ही तर्ज पर चल रही है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह  है कि क्या भ्रष्टाचार को लेकर पिछली सरकार को कोसने और बिगड़ी व्यवस्था का रोना रोने से वर्तमान व्यवस्था सुधर जाएगी या फिर बीएस  तिवारी, यूएस गुप्ता, सुधीर चक्रवर्ती और सुरेंद्र कुमार जैसे जिम्मेदारों के कारनामों को चिन्हित कर उन पर कार्यवाही करके.

सपा के अखिलेश राज से लेकर भाजपा के योगिराज तक बिजली विभाग में अपना झंडा बुलंद रखने वाले निदेशक उत्पादक निगम बीएस तिवारी जिनके खिलाफ हरदुआगंज की मौतों की जांच चल रही है. जिम्मेदारों ने बीएस तिवारी की इस जांच को करीब 8 से 10 महीने पहले विभाग के ही उन्हीं के समकक्ष निदेशक संजय तिवारी को सौंप दिया. लेकिन महीनों बीतने के बाद भी संजय तिवारी ने जांच की दिशा में कोई रुचि नहीं दिखाई और न ही शासनादेशों का इनको संज्ञान रहा. बिजली विभाग में अपनी ही सरकार के शासनादेशों का पालन नहीं हो पा रहा है और पिछली सरकार में किए गए कारनामों पर पर्दा डाला जा रहा है. जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है तो गुनहगारों को बचाने का पूरा प्रयत्न किया जा रहा है. जहां वर्षो से लंबित जांच में कोई प्रगति नहीं हो सकी है वहीं योगी सरकार के बिजली विभाग में जिसके खिलाफ जांच है उसी के समकक्ष को जांच दे दिया गया है जबकि शासनादेश के अनुसार जांच अधिकारी आरोपी अफसर का सीनियर होना चाहिए. ऐसे में बीएस तिवारी जिसका रिटायरमेंट अब करीब 1 साल बचा है और शासन की इस लापरवाही का फायदा उठाकर बीएस तिवारी अपने खिलाफ चल रही जांच को अपने रिटायरमेंट तक खींचने में कामयाब हो सकता है या फिर जांच प्रक्रिया की इसी कमी का फायदा उठाकर वह बचने का भी प्रयास कर सकता है.

इसके अलावा दूसरा सबसे चर्चित प्रकरण एटा के जवाहरपुर तापीय परियोजना के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली सरिया की विभाग के अधिकारीयो की मिलीभगत से अंतर्राज्यीय गिरोह द्वारा की जा रही चोरी को लेकर है. जिसमें सरिया की लूट की योजना को जमीन पर उतारने वाले सुरेंद्र कुमार के ऊपर जीएम यूएस गुप्ता की सरपरस्ती रही, और वह सारा ऑपरेशन संभालता था. इसीलिए एक रणनीति के तहत सुरेंद्र को उनके अधिकारियों द्वारा वहां से हटाया नहीं गया है ताकि वह वहां रहकर चीजों को मैनेज कर सके और फिलहाल वह अपने इस काम को पूरी शिद्दत और ईमानदारी से पूरा करने के लिए सत्ताधारी आकाओं की गणेश परिक्रमा करना शुरू कर चुका है. जेई सुरेन्द्र कुमार मामले को रफा-दफा करने और खुद को बचने व बाकी को बचाने के लिए राजनीतिक शरण में जा पहुंचा है. 

ऐसे में सरकार और उसके मंत्री की नजर इन अधिकारियों पर कब पड़ेगी यह एक प्रश्न बन चुका है ?  एक तरफ जहां पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए मामले को अंजाम तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है, वही बिजली विभाग की यह उदासीनता बहुत कुछ दर्शाती है.

अगले अंक में पढ़िए….US Gupta को GM जवाहरपुर…बनवाने में किसका हाथ…….. 

 

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