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निदेशक ग्रामीण अभियंत्रण दिनेश कुमार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी पद पर बने रहने से उठ रहे सवाल

अफसरनामा ब्यूरो

लखनऊ : उत्तर प्रदेश का बिना बजट का विभाग ग्रामीण अभियंत्रण एकबार फिर से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद चर्चा में है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की पीठ ने 28 जुलाई 2021 को दिए गये अपने 37 पेज के फैसले में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभागों में राज्य सरकार द्वारा जारी 22 मार्च 2016 की वरिष्ठता सूची को निरस्त कर दिया और इन विभागों में वर्ष 2001 में जारी की गई वरिष्ठता सूची को बहाल कर दिया गया. उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय के बाद विभाग में तैनात निदेशक दिनेश कुमार को उनके वर्तमान पद से हटना पड़ेगा क्योंकि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार यदि व्यवस्था लागू हो पाती है तो वरिष्ठता में दिनेश कुमार का क्रम काफी नीचे होगा.

बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका संख्या 31120/2016 राशिमणि मिश्र व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं विशेष अनुज्ञायाचिका संख्या 32631/2018 ब्रजेश कुमार दूबे बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य में 28 जुलाई 2021 को पारित निर्णय में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में सहायक अभियंताओं की पारस्परिक ज्येष्ठता सूची दिनांक 22 मार्च 2016 को “QUASH & SET ASIDE” करते हुए पूर्व परिचालित दिनांक 14 दिसम्बर 2001 की ज्येष्ठता सूची को पुनः प्रख्यापित कर दिया है. शीर्ष अदालत के इस फैसले से ग्रामीण अभियंत्रण सेवाओं में वर्ष 1985 में तदर्थ रूप से नियुक्त किये गए सैकड़ों अभियंता प्रभावित होंगे. जिनमें से कई लोग विभाग में उच्च पदों पर आसीन हो चुके हैं. उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि तदर्थ कर्मचारियों को स्थायी करने पर वरिष्ठता निर्धारण के लिए तदर्थ सेवाओं की गणना शामिल नहीं की जाएगी और वरिष्ठता का लाभ स्थायी करने के दिन से ही मिलेगा.

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के साथ ही वर्तमान में तैनात निदेशक ग्रामीण अभियंत्रण दिनेश कुमार के निदेशक पद पर तैनाती अवैध हो चुकी है. क्योंकि दिनेश कुमार को ग्रामीण अभियंत्रण अनुभाग-1 के दिनांक 19 दिसंबर 2016 द्वारा अधीक्षण अभियंता के पद पर पदोन्नति दी गयी. इसके बाद पुनः उत्तर प्रदेश शासन ग्रामीण अभियंत्रण अनुभाग-1 के द्वारा दिनांक 30 जून 2020 को मुख्य अभियंता स्तर-2 के पद पर पदोन्नति दे दी गयी. महत्वपूर्ण यह है कि यह दोनों पदोन्नतियाँ उच्चतम न्यायालय में उपरोक्त याचिका में पारित होने वाले अंतिम निर्णय के अधीन ही प्रदान की गयी थी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के आने के बाद से वर्तमान निदेशक दिनेश कुमार की निदेशक पद पर बने रहना गलत व नियम विरुद्ध है.

जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद शासन को नई व्यवस्था को लागू करने और नई व्यवस्था के तहत निदेशक पद पर उपयुक्त उम्मीदवार की तैनाती तक, तत्काल प्रभाव से निदेशक का चार्ज ले लेना चाहिए. और कोर्ट के आदेशों को बिना किसी देरी के प्रभावी कराना चाहिए. फिलहाल वर्तमान निदेशक दिनेश कुमार की निदेशक पद पर तैनाती के बस कुछ ही महीने बचे हैं ऐसे में अब देखना यह होगा कि शासन दिनेश कुमार को उनके सेवाकाल को पूरा करने का मौक़ा देता है या फिर समय से न्यायालय के निर्णय को लागू करके पदच्युत करता है.

फिलहाल इस मामले को लेकर तमाम तरह की चर्चाएँ फ़ैल रहीं हैं और शासन द्वारा मामले को लम्बा खींचे जाने के आरोप लगाये जा रहे हैं. कहा यह जा रहा है कि दिनेश कुमार को उनका कार्यकाल पूरा करने के लिए हथकंडे अपनाए जा सकते हैं. उधर सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से लाभान्वित होने वाले भी सक्रिय हो गए हैं और अपने अपने स्तर से इस निर्णय को लागू कराने के लिए प्रयासरत हैं.

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में न्याय की उम्मीदें जगीं, विभाग में उच्च पदासीन अफसरों की कुर्सी खतरे में

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